निशि भूत एक प्रकार की आत्मा या भूत है, जो विशेष रूप से बंगाली लोककथाओं और अंधविश्वासों में प्रचलित है। यह भूत मुख्य रूप से रात के समय सक्रिय होता है और लोगों को बुलाने या सम्मोहित करने के लिए जाना जाता है। इसके बारे में मान्यता है कि यह अपने शिकार को उसकी आवाज में पुकारता है, और जब वह व्यक्ति जवाब देता है या उसकी आवाज की दिशा में जाता है, तो उसे नुकसान पहुंचाता है।

निशि डाक का वर्णन:
स्थान: यह आमतौर पर एक सुनसान या अंधेरी जगह पर होता है, जैसे कि जंगल, श्मशान घाट, या किसी पुराने खंडहर में।
समय: आधी रात के बाद, विशेष रूप से रात के 12 बजे से 3 बजे के बीच, जब यह माना जाता है कि आत्माएँ और तांत्रिक शक्तियाँ सबसे अधिक सक्रिय होती हैं।
निशि भूत की कहानी
यह कहानी एक छोटे से गाँव 'निशिकाल' की है, जो घने जंगल के किनारे बसा हुआ है। यह गाँव अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन इसके साथ ही यहाँ निशि भूत की डरावनी कहानियाँ भी प्रचलित हैं। गांव के लोग सूर्यास्त के बाद घर से बाहर नहीं निकलते, क्योंकि उन्हें डर है कि निशि भूत उन्हें बुलाकर नुकसान पहुंचा सकता है।
चरित्र:
राहुल - गाँव का एक युवक, जो निशि भूत की कहानियों पर विश्वास नहीं करता।
सिया - राहुल की छोटी बहन, जो निशि भूत की कहानियों से बहुत डरती है।
दादी माँ - गाँव की सबसे बुजुर्ग महिला, जो निशि भूत के बारे में बहुत कुछ जानती है।
निशि भूत - एक रहस्यमय आत्मा, जो रात में सक्रिय होती है।
एक दिन, राहुल और उसके दोस्त गाँव के चौपाल में बैठे हुए थे। सभी दोस्त निशि भूत की कहानियों पर चर्चा कर रहे थे।
राहुल के दोस्त मोहन: "राहुल, तुमने सुना है? कल रात फिर से निशि भूत की आवाज सुनी गई थी।"
राहुल: "अरे, ये सब सिर्फ कहानियाँ हैं। ऐसा कुछ नहीं होता। तुम लोग बेकार के अंधविश्वास में जी रहे हो।"
मोहन: "लेकिन, राहुल, गाँव के कई लोग कह चुके हैं कि उन्होंने निशि भूत को देखा है।"
राहुल: "मुझे नहीं लगता कि इसमें कोई सच्चाई है। मैं तो कभी भी डरता नहीं।"
जंगल का दृश्य:
रात का समय हो गया था। राहुल घर लौटने की तैयारी कर रहा था। उसकी बहन सिया उसे बार-बार जंगल के पास से न जाने की सलाह दे रही थी।
सिया: "भैया, प्लीज जंगल के रास्ते से मत जाओ। मुझे बहुत डर लग रहा है।"
राहुल: "अरे सिया, तुम भी इन कहानियों पर विश्वास करती हो? कुछ नहीं होगा। मैं जल्दी वापस आ जाऊँगा।"
राहुल ने सिया की बात को नज़रअंदाज़ करते हुए जंगल के रास्ते से घर लौटने का फैसला किया। जैसे ही वह जंगल में प्रवेश किया, उसे चारों ओर अजीब सी खामोशी का एहसास हुआ।
जंगल में रहस्यमय घटनाएँ:
जंगल के अंदर बढ़ते ही राहुल को अचानक एक अजीब सी आवाज सुनाई देने लगी। यह आवाज उसकी बहन सिया की थी।
सिया की आवाज: "राहुल, मेरी मदद करो! मैं यहाँ फँस गई हूँ।"
राहुल यह सुनकर चौंक गया और आवाज की दिशा में बढ़ने लगा। लेकिन जैसे-जैसे वह आगे बढ़ता गया, आवाज और रहस्यमय और भयानक होती गई।
राहुल: "सिया, तुम कहाँ हो? मैं आ रहा हूँ।"
जंगल के बीच में एक खुली जगह पर पहुँचकर, राहुल ने देखा कि एक धुंधली परछाई उसकी ओर बढ़ रही है। वह समझ नहीं पाया कि यह क्या है, लेकिन उसे एक अजीब सी ठंडक का एहसास हुआ।
निशि भूत का सामना:
अचानक, वह परछाई एक मानव आकृति में बदल गई और राहुल के सामने आ गई। यह आकृति उसकी बहन सिया की ही थी, लेकिन उसकी आँखें लाल और चमकीली थीं।
निशि भूत (सिया की आवाज में): "राहुल, मुझे बचाओ।"
राहुल को एहसास हुआ कि यह उसकी बहन नहीं, बल्कि निशि भूत है। उसने अपनी हिम्मत जुटाई और पीछे हटने लगा।
राहुल: "तुम सिया नहीं हो। तुम कौन हो? क्या चाहते हो मुझसे?"
निशि भूत: "तुम्हें यहाँ नहीं आना चाहिए था। अब तुम्हारी आत्मा भी इस जंगल में कैद हो जाएगी।"
राहुल ने देखा कि निशि भूत उसकी ओर बढ़ रहा है। वह डर के मारे भागने लगा, लेकिन उसके पैर जैसे जमीन से चिपक गए थे।
दादी माँ की सलाह:
राहुल किसी तरह से भागकर घर पहुँचा और अपनी दादी माँ को सारी घटना बताई। दादी माँ ने उसे शांत करने की कोशिश की और कहा कि निशि भूत से बचने का एक उपाय है।
दादी माँ: "राहुल, निशि भूत बहुत ताकतवर होता है, लेकिन उसकी शक्ति को तोड़ा जा सकता है। तुम्हें उसके बुलाने पर कभी जवाब नहीं देना चाहिए और हमेशा अपने पास लौंग और काले धागे का ताबीज रखना चाहिए।"
राहुल ने दादी माँ की सलाह मानी और अगले दिन अपने दोस्तों के साथ ताबीज बनवाने गया।
आखिरी सामना:
रात का समय फिर आया। राहुल और उसके दोस्त ताबीज लेकर जंगल में गए, ताकि निशि भूत का सामना कर सकें और उसे हमेशा के लिए खत्म कर सकें। जैसे ही वे जंगल में प्रवेश किए, उन्हें फिर से वही अजीब आवाज सुनाई दी।
निशि भूत (राहुल की आवाज में): "मोहन, मेरी मदद करो।"
मोहन ने जवाब देने की कोशिश की, लेकिन राहुल ने उसे रोक दिया।
राहुल: "मोहन, ध्यान रखना। किसी भी हालत में जवाब मत देना।"
जंगल के अंदर बढ़ते हुए, उन्होंने देखा कि निशि भूत फिर से दिखाई दे रहा है। इस बार वह और भी भयानक रूप में था।
निशि भूत: "तुम लोग यहां से कभी नहीं जा पाओगे।"
राहुल और उसके दोस्तों ने ताबीज निकाला और निशि भूत की ओर फेंका। जैसे ही ताबीज निशि भूत के पास पहुंचा, वह जोर से चीखने लगा और धीरे-धीरे गायब हो गया।
अंत:
राहुल और उसके दोस्तों ने निशि भूत को हमेशा के लिए खत्म कर दिया। गाँव के लोग बहुत खुश हुए और राहुल की हिम्मत की तारीफ की।
निष्कर्ष:
इस कहानी से यह सिखने को मिलता है कि कभी-कभी अंधविश्वास में भी सच्चाई छुपी होती है। राहुल की हिम्मत और समझदारी ने गाँव को निशि भूत के आतंक से मुक्त कर दिया। निशि भूत की कहानियाँ हमेशा लोगों को सतर्क रहने और डर के सामने साहस दिखाने की प्रेरणा देती रहेंगी।
राहुल और उसके दोस्तों ने गाँव के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया कि सच्चाई का सामना करने के लिए हमेशा हिम्मत और धैर्य की जरूरत होती है। निशि भूत की यह कहानी आज भी निशिकाल गाँव में बच्चों और युवाओं को सुनाई जाती है, ताकि वे कभी भी अंधविश्वास को हल्के में न लें और जरूरत पड़ने पर सच्चाई का सामना कर सकें।
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