बैंगलोर, जिसे सिलिकॉन वैली ऑफ इंडिया कहा जाता है, में एक पुराना कार्यालय है जो शहर के मध्य में स्थित है। इस कार्यालय का नाम 'विजया टेक पार्क' है। इसे 1990 के दशक में बनाया गया था और यह एक समय में अत्यंत व्यस्त कार्यालय हुआ करता था। लेकिन समय के साथ, यहां के कर्मचारी अजीब घटनाओं का सामना करने लगे और धीरे-धीरे कार्यालय को बंद करना पड़ा। लोगों का मानना था कि इस जगह पर कुछ अनहोनी घटनाएं घट रही थीं, जिन्हें समझना मुश्किल था।
परिचय
विजया टेक पार्क में अब तक कई लोग जा चुके थे, लेकिन वहां कोई भी ज्यादा समय तक टिक नहीं पाया। शहर में यह चर्चा थी कि यह जगह श्रापित है। एक दिन, एक सॉफ्टवेयर कंपनी 'नेक्सा कॉर्प' ने इस स्थान को किराए पर लेने का निर्णय लिया। नेक्सा कॉर्प के मालिक, मृदुल महाजन, ने इन अफवाहों पर ध्यान नहीं दिया और यहां अपने 20 कर्मचारियों के साथ कार्यालय शुरू कर दिया।
शुरुआत
पहले कुछ दिनों में सब कुछ सामान्य था। लेकिन एक सप्ताह के बाद, अजीब घटनाएं शुरू हो गईं। रात के समय, कर्मचारियों को कंप्यूटर खुद-ब-खुद चालू और बंद होते हुए दिखाई देते थे। कुछ लोगों ने सुनी, जैसे किसी ने फुसफुसाते हुए उनका नाम पुकारा हो।
एक दिन, कंपनी की सबसे होशियार प्रोग्रामर, रिया, देर रात तक काम कर रही थी। अचानक, उसने अपने कंप्यूटर स्क्रीन पर एक संदेश देखा - "यहां से चले जाओ, वरना पछताओगे।" रिया ने इसे मजाक समझा और अपने काम में लगी रही। लेकिन अगले ही पल, उसके सामने की खिड़की जोर से बंद हो गई। उसने जबरन अपने को शांत रखा और तेजी से कार्यालय से बाहर निकल आई।
रहस्य गहराता है
रिया: "मृदुल सर, मुझे ऐसा लगता है कि यह कार्यालय सच में श्रापित है। मैंने कल रात को कुछ अजीब देखा।"
मृदुल: "रिया, यह सिर्फ तुम्हारा भ्रम है। कुछ भी नहीं है।"
लेकिन कुछ दिनों बाद, मृदुल ने भी अजीब घटनाओं का सामना किया। रात के समय जब वह ऑफिस में अकेला था, उसने देखा कि कॉरिडोर में कोई साया चल रहा है। उसे एक अजीब सी ठंडक का एहसास हुआ। उसने तुरंत ऑफिस छोड़ दिया और अगली सुबह कर्मचारियों को कुछ भी संदिग्ध ना करने की सलाह दी।
कर्मचारियों में डर बढ़ता जा रहा था। सबने महसूस किया कि कुछ न कुछ गड़बड़ है। एक दिन, सभी कर्मचारियों ने मिलकर निर्णय लिया कि वे इस जगह के इतिहास को जानेंगे। वे सभी पुराने फाइलों और दस्तावेजों को खंगालने लगे।
काफी खोजबीन के बाद, उन्होंने एक पुरानी फाइल पाई जिसमें लिखा था कि 1995 में इस कार्यालय का निर्माण हुआ था। यहां काम करने वाले कर्मचारियों में से कई अचानक गायब हो गए थे और उनका कभी कोई सुराग नहीं मिला। आखिरी फाइल में एक कर्मचारी का नाम था - अंशुला राव, जिसने आखिरी समय पर यहां काम किया था।
कर्मचारियों ने अंशुला के परिवार से संपर्क किया और उनसे मिलकर पूरी कहानी सुनी। अंशुला की बहन ने बताया कि अंशुला ने उसे मरने से पहले एक पत्र लिखा था। उस पत्र में लिखा था कि ऑफिस में रात को अजीब घटनाएं होती हैं। उसे लगा कि ऑफिस में किसी आत्मा का वास है, जो अपने साथ कुछ कहना चाहती है।
अंशुला की कहानी सुनकर, कर्मचारियों ने निर्णय लिया कि वे इस आत्मा से बात करेंगे और उसे शांति प्रदान करेंगे। अगले दिन, सभी ने मिलकर ऑफिस में एक पूजा का आयोजन किया।
रात को, जब सभी पूजा कर रहे थे, तब अचानक एक साया प्रकट हुआ। वह आत्मा अंशुला की थी। उसने कहा, "मैं अंशुला हूं। मेरी आत्मा इस जगह पर फंसी हुई है क्योंकि मैंने यहां अन्याय होते देखा था। मैंने अपने सहयोगियों को मरते हुए देखा और इस सत्य को उजागर करने का प्रयास किया, लेकिन मुझे भी मार दिया गया।"
मृदुल ने आत्मा से कहा, "हम आपकी मदद करना चाहते हैं। कृपया हमें बताएं कि हम कैसे आपकी आत्मा को शांति दे सकते हैं।"
अंशुला की आत्मा ने कहा, "मुझे केवल न्याय चाहिए। उन लोगों को सजा मिलनी चाहिए जिन्होंने ये अन्याय किए हैं।"
कर्मचारियों ने पुलिस को सारी जानकारी दी और इस मामले को फिर से खुलवाया। पुलिस की जांच में पाया गया कि विजया टेक पार्क में कई कर्मचारियों की मौतें संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थीं। जिन लोगों ने यह अपराध किए थे, वे अब कानून की गिरफ्त में थे।
अंत
जब अंशुला की आत्मा को न्याय मिला, तब उसने मृदुल और उसके कर्मचारियों को धन्यवाद कहा और उनकी आत्मा को शांति मिली। विजया टेक पार्क फिर से एक सामान्य कार्यालय बन गया, जहां कोई डर या भूतिया घटनाएं नहीं थीं।
मृदुल और उनके कर्मचारियों ने मिलकर उस कार्यालय को एक नई शुरुआत दी और हर किसी ने इस घटना से यह सीखा कि किसी भी स्थान पर होने वाली अजीब घटनाओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
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