यह कहानी एक छोटे से गाँव में शुरू होती है, जो अपने अंधविश्वासों और प्राचीन मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। इस गाँव का नाम है शिवपुर। शिवपुर एक समय बेहद खुशहाल गांव था, लेकिन अब यह भूत-प्रेत की कहानियों और डरावने अनुभवों के कारण जाना जाता है। लोग इस गाँव के पास से भी गुजरने से कतराते थे, खासकर रात में। गाँव के लोग मानते थे कि इस गाँव में कुछ आत्माएँ भटक रही हैं, जो अपने अधूरे काम पूरे करने के लिए जीवित लोगों के बीच आती हैं।
रोहित की गाँव में वापसी
रोहित, एक युवा लड़का, जो कुछ समय पहले ही एक भूतिया कुत्ते का सामना कर चुका था, इस घटना से उबर नहीं पाया था। उसका डर उसे दिन-रात सताता रहता था। वह सोचता था कि आखिर वो कुत्ता उसके पीछे क्यों पड़ा था? वो कौन था? आखिर उसका क्या मकसद था? इन सवालों का जवाब पाने के लिए रोहित ने अपने दादा जी के गाँव, शिवपुर, जाने का फैसला किया।
गाँव पहुँचने पर, रोहित को पुराने मंदिर की याद आई, जहाँ उसे बचपन में अपने दादा जी के साथ जाना पसंद था। मंदिर का वातावरण अभी भी वैसा ही था – शांति और रहस्य से भरा हुआ। मंदिर के पुजारी, जिन्हें सब बाबा जी कहते थे, गाँव के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति थे और वे कई रहस्यों के जानकार माने जाते थे। रोहित ने सोचा कि शायद बाबा जी उसे इस रहस्य का कुछ जवाब दे सकें।
रोहित ने बाबा जी से मंदिर में मुलाकात की। बाबा जी ने उसे देखते ही कहा, "बेटा, मुझे पता था कि तुम यहाँ आओगे। तुम्हारे साथ जो हुआ है, वो सामान्य नहीं है।"
रोहित चौंक गया, "आपको कैसे पता?"
बाबा जी मुस्कुराए और बोले, "यह गाँव कई रहस्यों को छुपाए हुए है। और तुम उस कुत्ते के पीछे के सच्चाई को जानना चाहते हो, है ना?"
रोहित ने सिर हिलाया, "हाँ, बाबा जी। वो कुत्ता कौन था? वो मेरे पीछे क्यों पड़ा था?"
बाबा जी ने गहरी सांस ली और बोले, "यह कुत्ता सिर्फ एक पशु नहीं है। यह एक आत्मा का प्रतीक है। कई साल पहले, इसी गाँव में एक लड़का रहता था जिसका नाम रोहित था। उसकी एक प्यारी सी कुत्ते से गहरी दोस्ती थी। लेकिन एक दिन, कुछ गलत हुआ। लोग कहते हैं कि उस कुत्ते में भूत बस गया और वह लड़का मर गया। वह आत्मा अभी भी इस कुत्ते के माध्यम से जीवित है और वह तुम्हारे जैसे लोगों के पीछे आती है, जिनका उससे कुछ पुराना संबंध होता है।"
असली रहस्य का खुलासा
रोहित का चेहरा पीला पड़ गया। उसने कांपती आवाज़ में पूछा, "मेरा उससे क्या संबंध है, बाबा जी?"
बाबा जी ने कहा, "तुम्हारा और उस लड़के का आत्माओं का गहरा संबंध है। पिछले जन्म में तुम वही लड़का थे। और यह कुत्ता तुम्हारे अधूरे कार्य को पूरा करने के लिए तुम्हारे पास आया है। तुमने पिछले जन्म में कुछ गलत किया था, और यह आत्मा तुम्हें चेतावनी देने आई है।"
रोहित का सिर चकराने लगा। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसके पिछले जन्म की बातें उसके वर्तमान में इस तरह से असर डाल रही थीं।
अंतिम मुकाबला और अप्रत्याशित अंत
रोहित ने ठान लिया कि वह इस रहस्य को खत्म करके ही दम लेगा। उसने बाबा जी से आशीर्वाद लेकर कुत्ते का सामना करने का फैसला किया। उसी रात, वह गाँव के पुराने जंगल में गया, जहाँ से कुत्ते की भयानक आवाज़ें आ रही थीं।
जैसे ही रोहित जंगल में पहुँचा, उसने देखा कि वह कुत्ता फिर से सामने खड़ा था। उसकी आँखें लाल हो रही थीं और उसकी उपस्थिति से पूरा वातावरण डरावना लग रहा था। रोहित ने साहस जुटाकर कहा, "तुम कौन हो? और तुम मेरे पीछे क्यों पड़े हो?"
कुत्ते ने एक पल के लिए उसकी आँखों में देखा और फिर एक अजीब सी आवाज़ में बोला, "तुम्हें याद नहीं? तुमने मुझसे वादा किया था कि हम हमेशा साथ रहेंगे, लेकिन तुमने मुझे छोड़ दिया। मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ, और जब तक तुम्हारा अधूरा वादा पूरा नहीं होता, मैं तुम्हें चैन से नहीं रहने दूँगा।"
रोहित को धीरे-धीरे सब कुछ याद आने लगा। पिछले जन्म में उसने अपने कुत्ते को मरने के लिए छोड़ दिया था, और उसकी आत्मा अब उसे अपनी गलती सुधारने के लिए कह रही थी।
रोहित ने आँखों में आँसू भरते हुए कहा, "मैं तुम्हें माफ़ी माँगता हूँ। मैं उस समय कमजोर था, लेकिन अब मैं तुम्हें छोड़कर नहीं जाऊँगा।"
जैसे ही रोहित ने ये शब्द कहे, कुत्ते की लाल आँखें सामान्य हो गईं और उसकी डरावनी उपस्थिति धीरे-धीरे गायब हो गई। कुत्ता शांत होकर रोहित के पास बैठ गया, जैसे वह अब उसकीआत्मा को मुक्त कर रहा हो
अगली सुबह, रोहित गाँव के मंदिर में पहुँचा। बाबा जी ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुमने अपना अधूरा कार्य पूरा कर दिया है, बेटा। अब वह आत्मा तुम्हें और परेशान नहीं करेगी।"
रोहित ने राहत की साँस ली और मंदिर के बाहर आकर देखा कि वह कुत्ता अब एक साधारण कुत्ते की तरह उसके पीछे चल रहा था। लेकिन अब उसमें वह भूतिया डरावना रूप नहीं था।
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हमारी गलतियाँ, चाहे वे किसी भी जन्म की हों, कभी-कभी हमारे वर्तमान जीवन में भी हमारे पीछे आ सकती हैं। और जब तक हम उन्हें सुधार नहीं लेते, वे हमें चैन से नहीं रहने देतीं।
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