2011-2012 का समय था। मैं तब डिप्लोमा के दूसरे वर्ष में था और पढ़ाई के लिए घर से दूर किराए के एक छोटे से मकान में अकेला रह रहा था। मकान में केवल दो कमरे थे—एक ड्राइंग रूम और एक छोटा सा बेडरूम। मेरे पास कोई रूम पार्टनर नहीं था, लेकिन बगल में दो लोग रहते थे, जिनसे मैं कभी-कभी बातचीत कर लेता था। उस रात, जो मेरे जीवन की सबसे डरावनी रात बन गई, मैं अकेला था क्योंकि बगल के लोग अपने गांव गए हुए थे।
रात का समय था और मैं अपने मोबाइल पर गाने सुनते हुए ड्राइंग बना रहा था। कला हमेशा से मेरी शौक थी और यह मेरा पसंदीदा समय बिताने का तरीका था। जब रात के लगभग 1 बज गए, तो मैंने सोने का निर्णय लिया। मैंने गाने बंद कर दिए, लाइट्स ऑफ की और बिस्तर पर लेट गया। उस समय मेरे मन में किसी प्रकार की चिंता या डर का कोई भाव नहीं था।
जैसे ही मैं सोने की कोशिश कर रहा था, मुझे अचानक एक अजीब सी अनुभूति हुई। मुझे ऐसा लगा कि कमरे में कुछ और भी है। मैंने इस भावना को अनदेखा करने की कोशिश की, लेकिन यह और भी मजबूत होती गई। थोड़ी देर बाद, मुझे स्पष्ट रूप से महसूस हुआ कि कमरे में तीन चुड़ैलें हैं। उन चुड़ैलों की उपस्थिति इतनी स्पष्ट थी कि मैं मानो उन्हें देख सकता था।
दो चुड़ैलें खड़ी होकर मुझे घूर रही थीं, और एक मेरे बिस्तर पर मेरे पीछे लेटी हुई थी। उस समय मैं दायीं करवट लेटा हुआ था। मेरे दिल की धड़कनें तेज हो गईं और मुझे एक भयानक डर ने जकड़ लिया। मुझे लगा जैसे मेरा पूरा शरीर बर्फ की तरह ठंडा हो गया हो। मैं हिल भी नहीं पा रहा था, मानो किसी ने मुझे जकड़ लिया हो।
मैं पूजा-पाठ करने वाला व्यक्ति था और मुझे विश्वास था कि मेरी छठी इंद्री सक्रिय हो गई थी। मैं उन चुड़ैलों का चेहरा साफ देख सकता था। उनके चेहरे पर भयानक मनहूसियत थी। उनकी आँखें खाली और खोखली थीं, और उनके चेहरे पर एक सड़ांध की भावना थी। उनका चेहरा सड़ा हुआ और बदबूदार लग रहा था, और यह दृश्य इतना भयानक था कि मैं सहम गया।
मैं पूरी तरह से जाग गया था, लेकिन मैंने अपनी आँखें बंद रखी और बिना हिले-डुले दायीं करवट लेटा रहा। मुझे पता था कि अगर मैंने पलटा तो मुझे बिस्तर पर लेटी चुड़ैल का चेहरा दिख जाएगा और इससे मुझे दिल का दौरा पड़ सकता है। मेरे पूरे शरीर के रोंगटे खड़े हो गए थे।
इस बीच, मेरा दिमाग भी काम करना शुरू कर चुका था। मैंने मन ही मन हनुमान चालीसा का पाठ करना शुरू किया। जैसे ही मैंने हनुमान चालीसा की पहली पंक्ति "श्री गुरु चरण सरोज रज निज मन मुकुर सुधारि" पढ़ी, मुझे एक अजीब सी शांति महसूस होने लगी। जैसे-जैसे मैं हनुमान चालीसा पढ़ता गया, वैसे-वैसे मेरा डर खत्म होने लगा। अंत तक पहुँचते-पहुँचते वे भयानक चुड़ैलें गायब हो चुकी थीं।
मैंने तुरंत बगल में रखा मोबाइल उठाया और हनुमान चालीसा का ऑडियो चला दिया। उसके बाद, मैंने कमरे की लाइट जला दी। मैंने देखा कि कमरे में अब कोई नहीं था, लेकिन मेरे दिल की धड़कनें अभी भी तेज थीं।
इस घटना ने मुझे बुरी तरह हिला कर रख दिया। इससे पहले मैं ऐसी बुरी शक्तियों का मजाक उड़ाता था, लेकिन इस घटना के बाद मुझे इन चीजों पर विश्वास हो गया।
इसके कुछ दिनों बाद, मुझे पता चला कि जिस नोकिया 7200 मोबाइल को मैंने सेकेंड हैंड खरीदा था, वह एक ट्रेन डकैती और मर्डर के बाद लूटा गया था। और मुझे धोखे से बेच दिया गया था। शायद उस फोन का असली मालिक, जिसकी आत्मा शायद अपने प्रेतात्मा दोस्तों के साथ मेरे पास आई थी, उसे पाने की कोशिश कर रहा था।
इस घटना के बाद मैंने वह मोबाइल फेंक दिया और कभी वापस नहीं देखा। यह अनुभव मेरे लिए जीवन भर का सबक बन गया। मैंने उन भयानक क्षणों से सिखा कि ऐसी शक्तियों को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और हमेशा सतर्क रहना चाहिए।
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