उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में, देहरादून से करीब 50 किलोमीटर दूर, एक घना जंगल है। इस जंगल के बीचोंबीच एक खंडहरनुमा कॉलेज स्थित है, जिसका नाम है रघुनाथ कॉलेज ऑफ़ टेक्नोलॉजी। इस कॉलेज की कहानी वहां के स्थानीय लोग बहुत डर और रहस्य के साथ सुनाते हैं। कहा जाता है कि इस कॉलेज में आने वाले कभी वापस नहीं लौटते, और जो लौटते हैं वे या तो पागल हो जाते हैं या उनकी याददाश्त चली जाती है। यह कॉलेज केवल रात के समय ही दिखाई देता है और आम लोग इसे कभी नहीं देख पाते। लेकिन कुछ बहादुर या अज्ञानी छात्र, जो इसके बारे में नहीं जानते, इस जाल में फंस जाते हैं।
चार दोस्त—रोहित, अनिता, सौरभ, और निधि—मुंबई के एक कॉलेज में एडमिशन के लिए जी-जान लगा रहे थे, लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया। फिर, एक दिन उन्हें इंटरनेट पर रघुनाथ कॉलेज ऑफ़ टेक्नोलॉजी का एक विज्ञापन दिखा जिसमें कुछ खाली सीटों की जानकारी दी गई थी। उन्हें यह देखकर हैरानी हुई क्योंकि उन्होंने पहले इस कॉलेज का नाम कभी नहीं सुना था। कॉलेज का स्थान, फ़ीस, और सुविधाएं उन्हें काफी आकर्षक लगीं।
रोहित: "यार, ये कॉलेज तो बहुत बढ़िया लग रहा है! कितनी अच्छी लोकेशन है और फ़ीस भी कम है।"
निधि: "लेकिन मैंने पहले इस कॉलेज के बारे में कभी नहीं सुना। ये देहरादून के पास है और इतनी बढ़िया डील दे रहे हैं?"
अनिता: "क्या पता, नए कॉलेज होंगे इसलिए। मुझे लगता है हमें अप्लाई कर देना चाहिए।"
सौरभ: "हां, देखते हैं। वैसे भी हमारे पास और कोई विकल्प नहीं है।"
कुछ घंटों के भीतर ही चारों दोस्तों को एडमिशन कन्फर्मेशन मेल मिल गया। वे सभी बहुत खुश थे और जल्द से जल्द कॉलेज पहुँचने का इंतजार करने लगे।
कॉलेज की पहली झलक
जब वे चारों देहरादून पहुँचे, तो उनका सामना एक अजीब स्थिति से हुआ। कोई भी उन्हें कॉलेज का सही पता नहीं बता पा रहा था। टैक्सी ड्राइवरों से लेकर स्थानीय दुकानदारों तक, किसी को भी उस कॉलेज का रास्ता नहीं पता था। लेकिन वे हार मानने वालों में से नहीं थे, इसलिए वे नक्शे के सहारे जंगल के बीचोंबीच पहुँच गए।
कॉलेज के गेट पर पहुँचते ही वे चौक गए। गेट पर जंग लगी थी, चारों तरफ सन्नाटा था, और वहां कोई नज़र नहीं आ रहा था। वे लोग गेट को धकेल कर अंदर गए, और जैसे ही अंदर दाखिल हुए, पूरा दृश्य बदल गया। कॉलेज अंदर से चमचमाता हुआ और आधुनिक दिख रहा था, जैसे किसी ने अभी-अभी उसे तैयार किया हो।
सौरभ: "यह क्या चक्कर है? बाहर से तो ये जगह खंडहर लग रही थी और अंदर कितना शानदार!"
अनिता: "हां, ये तो सच में अजीब है, लेकिन देखो, सब कुछ ठीक लग रहा है। शायद ये हमारा भ्रम था।"
कॉलेज का पहला दिन
कॉलेज के पहले दिन, उनका स्वागत कुछ ज्यादा ही गर्मजोशी से हुआ। हर कोई मुस्कुरा रहा था, लेकिन उनकी मुस्कान में एक अजीब सी ठंडक थी। चारों दोस्तों ने सोचा कि शायद यह उनकी नई शुरुआत का असर है।
पहली क्लास में प्रोफेसर शर्मा ने उनका स्वागत किया।
प्रोफेसर शर्मा: "स्वागत है आप सबका हमारे कॉलेज में। यहां की पढ़ाई आपको नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।"
सभी छात्रों ने तालियां बजाईं, लेकिन रोहित ने प्रोफेसर की आंखों में एक अजीब सी चमक देखी।
रोहित (मन ही मन): "ये प्रोफेसर कुछ अजीब लग रहे हैं। इनकी आंखों में कुछ तो गलत है।"
क्लासेस खत्म होने के बाद, चारों दोस्तों ने कैंपस की सैर की। हर जगह की सुंदरता और शांति ने उन्हें प्रभावित किया, लेकिन कुछ न कुछ अजीब ज़रूर महसूस हो रहा था।
निधि: "यहां सब कुछ बहुत ही शांत है, लेकिन ये शांत माहौल अजीब लगता है।"
सौरभ: "हां, यहां की शांति में भी डरावना सा कुछ है।"
जैसे-जैसे दिन बीतते गए, कॉलेज में कुछ अजीब घटनाएं होने लगीं। निधि ने एक रात देखा कि उसके रूम में कोई परछाई घूम रही है, लेकिन जब उसने लाइट ऑन की, तो कोई नहीं था। रोहित ने देखा कि उसकी कक्षा में किसी छात्र का नाम पुकारा गया, लेकिन वो छात्र कहीं नहीं दिखा। अनिता ने सुना कि हॉस्टल में कोई लड़की रात को रो रही है, लेकिन जब उसने अपने दोस्तों से पूछा तो सबने कहा कि उन्होंने कुछ नहीं सुना।
अनिता: "मैंने रात को किसी लड़की की सिसकियां सुनीं, क्या तुम लोगों ने भी सुना?"
सौरभ: "नहीं यार, मैं तो सो रहा था। तुमने शायद सपना देखा होगा।"
रोहित: "नहीं, अनिता सही कह रही है। मैंने भी कुछ अजीब देखा था। ये जगह कुछ ठीक नहीं लगती।
धीरे-धीरे चारों दोस्तों को अहसास हुआ कि कुछ बहुत गलत है। वे कॉलेज के रिकॉर्ड्स चेक करने लगे और जो उन्होंने पाया, उसने उनके होश उड़ा दिए।
कॉलेज के पुराने रिकॉर्ड्स के अनुसार, यह कॉलेज 30 साल पहले बंद हो चुका था। एक भीषण आग ने कॉलेज को खाक कर दिया था, और उस हादसे में सभी छात्र और स्टाफ मारे गए थे। लेकिन ये आत्माएं अभी भी कॉलेज में भटक रही थीं, और जो भी नया छात्र यहां एडमिशन लेता, उसकी आत्मा भी उसी जाल में फंस जाती थी।
रोहित: "ये क्या पढ़ रहे हो सौरभ? ये तो सच में डरावना है!"
सौरभ: "हां, और ये सिर्फ शुरुआत है। यहां से निकलना इतना आसान नहीं है।"
निधि: "क्या मतलब? क्या हम यहां फंस गए हैं?"
अनिता: "हमें कुछ करना होगा। वरना हम भी इन्हीं आत्माओं में से एक बन जाएंगे।"
अमावस की रात, कॉलेज ने अपना असली चेहरा दिखाया। सभी छात्र और प्रोफेसर अपने असली रूप में आ गए—भूतिया और भयानक। प्रोफेसर शर्मा ने चारों दोस्तों को एक कमरे में बुलाया और कहा कि उन्हें एक विशेष क्लास अटेंड करनी है।
प्रोफेसर शर्मा: "यह आखिरी क्लास है, और इसके बाद आप हमेशा के लिए इस कॉलेज का हिस्सा बन जाएंगे।"
चारों दोस्तों को अब अहसास हो गया था कि ये उनके जीवन की आखिरी रात हो सकती है। उन्होंने भागने की कोशिश की, लेकिन कॉलेज का हर दरवाजा बंद हो चुका था। तभी अनिता ने कॉलेज के रिकॉर्ड्स में एक मंत्र देखा जिसे पढ़कर आत्माओं को शांत किया जा सकता था।
अनिता: "रोहित, ये मंत्र पढ़ो! शायद इससे हमें बचने का रास्ता मिल जाए।"
रोहित: "ठीक है, मैं इसे पढ़ता हूँ।"
जैसे ही रोहित ने मंत्र पढ़ना शुरू किया, कमरे में अजीब हलचल होने लगी। सभी आत्माएं जोर-जोर से चिल्लाने लगीं और प्रोफेसर शर्मा का चेहरा बदलने लगा। लेकिन तभी, रोहित की आंखें लाल हो गईं और उसके शरीर में बदलाव आने लगे। वो खुद भी एक आत्मा बनता जा रहा था।
सौरभ: "रोहित, रुक जाओ! तुम्हें कुछ हो रहा है!"
लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। रोहित भी उस श्रापित कॉलेज का हिस्सा बन चुका था। सौरभ और निधि ने मंत्र को पूरा किया और आत्माओं को शांत किया। लेकिन अब वे तीनों दोस्त कॉलेज से कभी बाहर नहीं निकल सके।
सौरभ और निधि ने बाहर निकलने की बहुत कोशिश की, लेकिन वे भी उसी श्रापित जाल में फंस गए। वे अब उसी कॉलेज की आत्माएं बन चुके थे, नए छात्रों की प्रतीक्षा में। और आज भी, रघुनाथ कॉलेज ऑफ़ टेक्नोलॉजी हर अमावस की रात को प्रकट होता है, और जो भी वहां जाता है, उसकी आत्मा भी हमेशा के लिए उसी कॉलेज में रह जाती है।
किसी भी चीज़ के प्रति बहुत अधिक लालच या जल्दबाजी में निर्णय लेना खतरनाक हो सकता है। जब कोई अवसर असामान्य रूप से आकर्षक और आसान लगे, तो उसे लेकर सतर्क रहना चाहिए। इस कहानी में चार दोस्तों ने बिना जांच-पड़ताल किए एक कॉलेज में दाखिला ले लिया, जिसका अंत उनके लिए विनाशकारी साबित हुआ। यह हमें सिखाता है कि हमें हमेशा सतर्क और समझदार रहना चाहिए, खासकर जब चीजें सामान्य से हटकर दिखाई दें। सही जानकारी के बिना किसी भी अज्ञात स्थान या परिस्थिति में प्रवेश करना घातक साबित हो सकता है।
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