मुंबई, एक ऐसा शहर जहाँ हर कोई सपने लेकर आता है। इसी शहर के एक कोने में राजीव नाम का 20 साल का लड़का रहता था। वह कॉलेज का छात्र था और वीडियो बनाना उसका जुनून था। उसका परिवार एक छोटे से फ्लैट में रहता था, और उस दिन उसके मम्मी-पापा किसी शादी में बाहर गए हुए थे। रात के अंधेरे में, राजीव अपने फ्लैट में अकेला था, और तब कुछ ऐसा हुआ जिसने उसकी ज़िन्दगी को हमेशा के लिए बदल दिया।
मुंबई के लोकल ट्रेन की आवाजें दूर से सुनाई दे रही थीं। राजीव अपने कमरे में बैठा अपने नए ट्राइपॉड के साथ वीडियो बना रहा था।
(राजीव कैमरा ऑन करता है और बोलता है)
राजीव: "दोस्तों, आज मैं कुछ नया ट्राई कर रहा हूँ। देखो, ये मेरा नया ट्राइपॉड है, इससे अब वीडियो और भी प्रोफेशनल लगेंगे। मुंबई की इस हलचल में भी हमें कुछ क्रिएटिव करना है!"
वह कैमरे के सामने अलग-अलग एंगल से शूट कर रहा था। अचानक उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई उसके पीछे खड़ा है। उसने तुरंत कैमरा स्क्रीन की ओर देखा, पर वहाँ कोई नहीं था।
राजीव (खुद से): "शायद मेरा वहम होगा।"
लेकिन जब उसने रिकॉर्डिंग चेक की, तो उसमें एक धुंधला सा चेहरा दिखाई दिया। राजीव का दिल जोर से धड़कने लगा। उसने वीडियो को ज़ूम किया, तो वह चेहरा और भी साफ नजर आने लगा, जैसे कोई उसे घूर रहा हो।
राजीव ने चारों तरफ देखा। फ्लैट का हर कोना खाली था, लेकिन उसके अंदर अजीब सा डर बैठ गया था। उसने खुद को समझाया कि यह बस एक कैमरे की गड़बड़ी हो सकती है।
राजीव (खुद से): "मुंबई की इस उमस और थकान में शायद मेरा दिमाग ही खेल खेल रहा है।"
लेकिन फिर भी वह असहज था। तभी अचानक दरवाजे पर एक खटखट की आवाज आई। राजीव धीरे-धीरे दरवाजे की ओर बढ़ा और हिचकिचाते हुए उसे खोला। बाहर कोई नहीं था। उसने सोचा शायद पड़ोसी होंगे, पर दिल का डर खत्म नहीं हुआ।
राजीव ने अपने सबसे अच्छे दोस्त, करण को कॉल किया।
राजीव: "करण, भाई, मुझे कुछ अजीब सा दिखा। मैंने वीडियो रिकॉर्ड किया, उसमें किसी का चेहरा दिखा। मुझे लग रहा है, घर में कोई है।"
करण: "क्या कह रहा है, यार! तू अकेला है और ये मुंबई का माहौल तुझे डरा रहा है। वीडियो में कुछ नहीं होगा, ये बस लाइटिंग का इफेक्ट होगा।"
राजीव: "नहीं यार, ये लाइटिंग नहीं थी। वो चेहरा असली था।"
करण (हँसते हुए): "अरे छोड़ ना, तू ज़्यादा सोच रहा है। चल वीडियो भेज, मैं देखता हूँ।"
राजीव ने वीडियो भेजा, लेकिन करण ने उसे सामान्य बताया। इससे राजीव और भी घबरा गया। उसे अब विश्वास होने लगा कि कुछ न कुछ तो गड़बड़ है, जो उसका दोस्त समझ नहीं पा रहा।
राजीव ने करण की बातों को नज़रअंदाज़ करते हुए फ्लैट का मुआयना करना शुरू किया। वह हर कमरे में गया, लेकिन कुछ असामान्य नहीं पाया। तभी उसे छत से किसी के कदमों की हल्की आवाज़ सुनाई दी। वह फ्लैट की सीढ़ियों की ओर बढ़ा और छत पर गया।
मुंबई की छतें ज्यादातर छोटी होती हैं, और उस रात ठंडी हवा चल रही थी। छत पर पहुंचते ही उसे एक अजीब सा अहसास हुआ, जैसे कोई उसकी तरफ देख रहा हो। तभी एक साया उसके सामने से गुजरा। राजीव ने हिम्मत जुटाकर उस साए का पीछा किया, पर वह साया अचानक गायब हो गया।
पीछे से एक हल्की आवाज़ आई: "तुम यहाँ नहीं होना चाहिए था..."
राजीव ने चौंक कर मुड़कर देखा, पर वहाँ कोई नहीं था। उसकी घबराहट बढ़ने लगी और वह तेजी से नीचे की ओर भागा।
वापस कमरे में आकर राजीव ने दरवाजा बंद कर लिया। उसने सोचा कि यह सब कुछ उसका भ्रम हो सकता है, लेकिन मन का डर उसे अंदर से खा रहा था। तभी उसका फोन बजा। उसने देखा कि स्क्रीन पर 'अनजान नंबर' लिखा था।
राजीव (डरते हुए फोन उठाता है): "ह...हेलो?"
आवाज: "तुम यहाँ नहीं होना चाहिए था।"
राजीव ने फोन तुरंत काट दिया और उसे लगा जैसे किसी ने उसकी सांसें रोक दी हों। वह दरवाजे की ओर बढ़ा, लेकिन तभी दरवाजा अपने आप बंद हो गया।
कमरे की लाइट्स अचानक बंद हो गईं और राजीव पूरी तरह से अंधेरे में घिर गया। उसने फोन की टॉर्च ऑन की, पर वह भी तुरंत बंद हो गई। उसे महसूस हुआ कि कोई उसके बहुत पास है।
तभी उसके कान के पास एक ठंडी सांस का एहसास हुआ। वह डर से कांप उठा। उसने अपने चारों ओर देखा, पर कोई नहीं था। उसकी धड़कनें तेज हो गईं और उसे लगा जैसे वह इस अंधेरे से कभी बाहर नहीं निकल पाएगा।
अचानक दीवारों पर छायाएं उभरने लगीं, और हर छाया एक ही बात दोहरा रही थी: "तुम्हें यहाँ नहीं होना चाहिए था।"
सुबह होते ही राजीव के मम्मी-पापा घर लौटे। उन्होंने देखा कि फ्लैट का दरवाजा खुला हुआ है। अंदर जाने पर उन्हें राजीव का फोन जमीन पर पड़ा मिला। वे उसे आवाज़ लगाते रहे, पर राजीव का कोई जवाब नहीं आया।
जब पुलिस ने फ्लैट की जांच की, तो उन्हें कमरे की दीवारों पर अजीब निशान और खून के धब्बे मिले। राजीव का कोई सुराग नहीं मिला। लेकिन उसके फोन में आखिरी वीडियो में वही चेहरा बार-बार दिख रहा था, जो उस रात उसे डरा रहा था।
आज भी लोग उस फ्लैट को देखकर डर जाते हैं। कहते हैं कि जो भी उस फ्लैट में गया, वह कभी वापस नहीं आया...
अंत
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