शुरुआत
सभी नए जोड़ों को अपने-अपने घरों में एक खूबसूरत निमंत्रण पत्र मिला। उस पत्र पर सोने की स्याही से लिखा हुआ था:
"स्वप्नों की दुनिया में स्वागत है, जहां आपके प्यार को मिलेगा एक अनोखा तोहफा। होटल 'प्यार का महल' में आपका हार्दिक स्वागत है। यहाँ आकर अपने प्यार को अमर बनाइए।
आपका नया जीवन यहीं से शुरू होगा।
दिशानिर्देश: सिर्फ निमंत्रण पत्र के साथ ही प्रवेश मिलेगा।
दिनांक: 13 अगस्त, समय: शाम 7 बजे।
आपका रहस्य, 'प्यार का महल'।"
यह निमंत्रण इतना आकर्षक और रोमांचक था कि सभी जोड़ों ने इसे तुरंत स्वीकार कर लिया। उन्हें क्या पता था कि यह निमंत्रण उन्हें मौत के कगार पर ले जा रहा है।
रवि: "ये निमंत्रण तो बहुत ही शानदार लग रहा है! प्यार का महल... सुनीता, हमें जाना चाहिए। ये हमारे लिए एक यादगार ट्रिप होगी।"
सुनीता (मुस्कुराते हुए): "सच में रवि, ऐसा निमंत्रण कौन ठुकरा सकता है? यह तो जैसे हमारे लिए ही बना है।"
नीना: "ये जगह तो पहाड़ियों के बीच है, बिल्कुल रोमांटिक लग रही है। सही कह रहा हूँ ना, आदित्य?"
आदित्य (हल्के से हँसते हुए): "हाँ, नीना। लेकिन मुझे ये जगह कुछ अजीब लग रही है। फिर भी, चलो देखते हैं।"
जब सभी जोड़े होटल 'प्यार का महल' पहुंचे, तो उन्होंने पाया कि यह होटल पहाड़ियों के बीच, एक घने जंगल के बीचों-बीच स्थित था। होटल का बाहरी हिस्सा काफी पुराना और जर्जर दिखाई दे रहा था, लेकिन फिर भी उसमें कुछ ऐसा आकर्षण था जो उन्हें भीतर खींच ले गया।
होटल के अंदर प्रवेश करते ही, उन्हें एक अजीब सी ठंडक महसूस हुई। चारों ओर अंधेरा और सन्नाटा पसरा हुआ था। होटल के भीतर का दृश्य और भी भयानक था। दीवारों पर अजीबोगरीब चित्र बने हुए थे, जैसे कि कोई खून से चित्रकारी की गई हो। छत से झूमर लटके हुए थे, लेकिन उनमें कोई रौशनी नहीं थी। और फर्श पर धूल और जालों का साम्राज्य था।
सभी जोड़े धीरे-धीरे होटल के अंदर पहुंचे, जहाँ उनका स्वागत एक बूढ़े मैनेजर ने किया। उसके चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान थी, जो सीधे दिल में खौफ भर देती थी।
मैनेजर (रहस्यमयी मुस्कान के साथ): "स्वागत है आप सभी का। यह होटल आपको ज़िन्दगी की सबसे यादगार रातें देगा।"
रवि (धीरे से सुनीता के कान में): "ये बूढ़ा कुछ अजीब नहीं लग रहा? उसकी मुस्कान तो जैसे हमारी आत्माओं को देख रही हो।"
सुनीता (चिंतित स्वर में): "मुझे भी कुछ ठीक नहीं लग रहा, रवि। लेकिन हमने आने का फैसला किया है, तो देखते हैं क्या होता है।"
नीना (आदित्य से): "आदित्य, इस जगह में कुछ तो अजीब है। जैसे ही हम यहां पहुंचे, मुझे अजीब सी ठंडक महसूस हो रही है।"
आदित्य (संजीदा होकर): "मैं समझता हूँ, नीना। हमें सतर्क रहना चाहिए। लेकिन अब हम यहां हैं, तो रात बिताकर ही चलेंगे।"
इस महल में हर रात कुछ नया होता है, आप सबको अपना कमरा मिल गया है। बस एक बात याद रखना, जो भी हो, रात के 12 बजे के बाद अपने कमरे से बाहर मत आना।"
रात के बढ़ते खौफ के बीच डर की शुरुआत:
सुनीता (डरी हुई): "रवि, ये आवाजें... ये कहाँ से आ रही हैं? ऐसा लग रहा है जैसे कोई हमारे कमरे के बाहर चल रहा हो।"
रवि (ध्यान से सुनते हुए): "मैंने भी सुनीं। रुको, मैं देखता हूँ।"
नीना (आदित्य से): "आदित्य, ये खून के निशान कहाँ से आए? ये दीवारों पर क्या हो रहा है?"
आदित्य (घबराते हुए): "ये खून कैसे हो सकता है? हमें यहां से तुरंत बाहर निकलना चाहिए।"
रवि (दूसरे जोड़ों से): "कुछ गड़बड़ है। ये होटल... ये जगह सुरक्षित नहीं है। हम सबको एक साथ रहना चाहिएI
सभी जोड़े डर के मारे कांप रहे थे। मैनेजर ने कहा, "यह होटल एक शापित जगह है। यहां जो भी आता है, वह जिंदा वापस नहीं जाता। आप सबकी मौत का समय आ चुका है।"
सभी जोड़े भागने की कोशिश करने लगे, लेकिन होटल के दरवाजे अचानक बंद हो गए। सभी कमरे अचानक से खुल गए और उनमें से निकलने लगीं आत्माएं, जिनके चेहरे जले हुए थे, आंखों से खून बह रहा था। ये वही लोग थे जो पहले यहां आए थे और अब होटल की आत्माएं बन गए थे।
मैनेजर (भयानक हँसी के साथ): "हाहाहा! आप सबको क्या लगा? आप यहां अपने प्यार को अमर बनाने आए हैं? नहीं, आप यहां अपनी मौत को अमर बनाने आए हैं!"
रवि (गुस्से में): "तुम कौन हो? हमें यहां क्यों लाए? हमें छोड़ दो!"
मैनेजर (धूर्तता से): "मैं वही हूँ, जो यहां आने वालों को उनकी अंतिम यात्रा पर भेजता हूँ। तुम सबके लिए भी वही इंतजार कर रहा है।"
सुनीता (रवि से चिपकते हुए): "रवि, हमें यहां से भागना होगा! हमें बचना होगा!"
नीना (रुआंसी होकर): "आदित्य, मैं मरना नहीं चाहती! हमें कुछ करना होगा!"
आदित्य (बेबस होकर): "यहां से कोई नहीं बच सकता, नीना। लेकिन हम कोशिश करेंगे।"
रवि (अंतिम सांस लेते हुए): "सुनीता... मुझे माफ कर देना... मैंने तुम्हें बचा नहीं पाया..."
सुनीता (रवि को गले लगाते हुए): "नहीं रवि, तुमने कुछ गलत नहीं किया... हम हमेशा साथ रहेंगे, चाहे ये दुनिया हो या कोई और..."
नीना (रोते हुए): "आदित्य, हम... हम एक साथ मरेंगे, लेकिन मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती..."
आदित्य (नीना को गले लगाते हुए): "नीना, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ... इस दुनिया में नहीं, तो उस दुनिया में सही..."
मैनेजर (अंत में सभी आत्माओं को कैद करते हुए): "अब तुम सब मेरे साथ रहोगे, इस महल में... हमेशा के लिए।"
आखिरकार, सभी जोड़े मौत के आगोश में समा गए। होटल का मैनेजर, जो असल में एक भूत था, ने उनकी आत्माओं को भी उस शापित होटल में कैद कर लिया।
अगली सुबह:
एक अजनबी जोड़ा (होटल के बाहर आकर): "क्या ये वही 'प्यार का महल' है? मैंने सुना है कि यहां का अनुभव जीवनभर याद रहता है।"
मैनेजर (पुरानी रहस्यमयी मुस्कान के साथ): "जी हाँ, स्वागत है। यहां का अनुभव आपको कभी नहीं भूलने देगा।"
कहानी का अंत होते ही एक अनकही खौफनाक सिहरन आपके मन में दौड़ जाती है। हर नई शुरुआत यहां मौत की गोद में समा जाती है, और ये सिलसिला कभी खत्म नहीं होता।
बाहरी आकर्षण और उत्साह में अक्सर हम ऐसी चीज़ों की अनदेखी कर देते हैं, जो हमारे लिए घातक साबित हो सकती हैं। इस कहानी में नए शादीशुदा जोड़े एक रहस्यमयी निमंत्रण के जाल में फंसकर "मौत के महल" तक पहुँच जाते हैं, जहाँ उनका सामना भयानक घटनाओं और अपनी मृत्यु से होता है। यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें अनजान निमंत्रणों और अज्ञात स्थानों के प्रति सतर्क रहना चाहिए। बाहरी सुंदरता और आकर्षण के पीछे छिपे खतरों को पहचानना आवश्यक है, क्योंकि हर चमकती चीज़ सोना नहीं होती। अंततः, सतर्कता और विवेक ही हमें खतरों से बचा सकते हैं।
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