दिल्ली के बाहरी इलाके में स्थित एक पुराने और प्रसिद्ध स्कूल का नाम था "प्रकाश विद्या निकेतन"। यह स्कूल अपने सख्त नियमों और उत्कृष्ट शिक्षा के लिए जाना जाता था। मगर इसके साथ ही इस स्कूल के बारे में एक भयानक कहानी भी मशहूर थी। कहा जाता था कि यहाँ की एक क्लास में एक आत्मा रहती है। वो आत्मा एक बच्चे की थी जो कई साल पहले यहीं पर मौत के घाट उतरा था। आज उसी स्कूल के दसवीं कक्षा का छात्र, रोहन, इस आत्मा की कहानी से अनजान, अपनी किस्मत बदलने की कोशिश में जुटा हुआ था।
रोहन एक साधारण छात्र था, लेकिन इस बार उसने परीक्षाओं की तैयारी सही से नहीं की थी। परीक्षाएं सर पर थीं और उसके पास बहुत कम समय बचा था। वह बहुत घबराया हुआ था, क्योंकि उसके परिवार ने उससे बहुत उम्मीदें लगा रखी थीं।
एक दिन, रोहन अपने दोस्त अर्जुन के साथ स्कूल के बाद घर लौट रहा था।
अर्जुन: "रोहन, तुमने सुना है? कहते हैं कि क्लास 10 में एक आत्मा रहती है।"
रोहन: "क्या बकवास है, यार! तुम भी ना, कुछ भी सुन लेते हो।"
अर्जुन: "नहीं, सच में! अगर कोई छात्र उस आत्मा से दोस्ती कर लेता है, तो वह उसे परीक्षाओं में मदद करती है।"
रोहन: (सपनों में खोते हुए) "सच में? कैसे?"
अर्जुन: "बस, उस बेंच पर एक दोस्ती का बैंड बांध दो, जहाँ उसने आत्महत्या की थी। फिर देखो, वह आत्मा तुम्हारी कैसे मदद करती है।"
रोहन के लिए यह जानकारी किसी वरदान से कम नहीं थी। परीक्षाएं पास आ रही थीं, और उसने अब तक कोई तैयारी नहीं की थी।
उस रात, जब सभी सो रहे थे, रोहन ने स्कूल की ओर कदम बढ़ाए। स्कूल की चारदीवारी पार कर वह सीधे उस क्लास की ओर गया जहाँ आत्मा का वास माना जाता था। वह क्लास न. 10 थी, जहाँ "टॉपर गांधी" नामक एक छात्र ने आत्महत्या कर ली थी। गांधी एक समय का सबसे होशियार छात्र था, लेकिन कुछ छात्रों के द्वारा उसे बार-बार तंग किया जाता था। एक दिन, वह मानसिक तनाव को सहन नहीं कर पाया और उसने अपनी जिंदगी खत्म कर ली।
रोहन ने सुना था कि आत्मा से मिलने के लिए उसे उस बेंच पर दोस्ती का बैंड बांधना पड़ेगा, जहाँ गांधी बैठा करता था। वह डरते-डरते उस बेंच के पास गया और बैंड निकालकर बेंच पर बाँध दिया। जैसे ही उसने बैंड बांधा, एक ठंडी हवा का झोंका आया और पूरे कमरे में अंधेरा छा गया। अचानक, रोहन के सामने एक धुंधली आकृति दिखाई देने लगी। यह आत्मा थी, टॉपर गांधी की आत्मा। वह मुस्कुरा रहा था, लेकिन उसकी मुस्कान में एक अजीब सी खौफनाक चमक थी।
गांधी ने कहा, "क्या तुमने मुझे बुलाया है?" रोहन ने डरते-डरते हाँ में सिर हिलाया। आत्मा ने उसे आश्वासन दिया कि वह उसकी मदद करेगा।
सौदा
गांधी ने कहा, "मैं तुम्हें परीक्षाओं में पास करा सकता हूँ, लेकिन इसके बदले तुम्हें मुझे कुछ देना होगा।" रोहन ने पूछा, "क्या?" गांधी ने एक डरावनी मुस्कान के साथ कहा, "मुझे तुम्हारी दोस्ती चाहिए, हमेशा के लिए।" रोहन ने बिना सोचे-समझे हाँ कह दिया, क्योंकि वह केवल अपने परीक्षा परिणाम की चिंता में था।
अगले दिन से, रोहन ने अपने परीक्षा के पेपरों में असामान्य तरीके से अच्छा प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। हर पेपर में आत्मा ने उसे उत्तर दिए, जिससे वह बिना किसी कठिनाई के प्रश्न पत्र हल कर लेता था। उसके शिक्षक और सहपाठी हैरान थे, क्योंकि वे जानते थे कि रोहन ने तैयारी नहीं की थी। रोहन के लिए यह सब किसी सपने जैसा था।
मगर हर रात, जब रोहन सोने जाता, उसे गांधी की आत्मा दिखाई देने लगती। गांधी उससे बातें करता, उसकी दोस्ती के बारे में और सवाल करता। रोहन ने धीरे-धीरे महसूस किया कि यह दोस्ती नहीं, बल्कि कुछ और ही था। वह डरने लगा, लेकिन अब पीछे हटने का कोई रास्ता नहीं था। गांधी की आत्मा ने धीरे-धीरे उसकी जिंदगी में दखल देना शुरू कर दिया। रोहन ने यह भी महसूस किया कि हर दिन के साथ वह कमजोर और बीमार होता जा रहा था।
एक दिन, रोहन ने अपने दादा-दादी के पुराने अखबारों में गांधी की आत्महत्या की खबर खोज निकाली। उसमें लिखा था कि गांधी के मरने से पहले उसने अपनी डायरी में लिखा था कि वह अपनी आत्मा से उन सभी लोगों से बदला लेगा, जिन्होंने उसे परेशान किया था। रोहन को समझ आ गया कि गांधी की आत्मा ने उसे अपने जाल में फँसा लिया था और अब वह उसे छोड़ने वाली नहीं थी।
रोहन ने अब इस बात को समझ लिया था कि उसकी जिंदगी खतरे में है। उसने आत्मा से छुटकारा पाने का निर्णय किया। वह फिर से उस क्लास में गया और उस बेंच के पास जाकर गांधी की आत्मा को पुकारा।
आत्मा: "क्या हुआ, मेरे दोस्त?"
रोहन: "मुझे माफ कर दो। मैं इस खेल का हिस्सा नहीं बनना चाहता।"
आत्मा: "तुम पीछे नहीं हट सकते। तुमने मुझसे दोस्ती का वादा किया था।"
रोहन: "मैं... मैं ये नहीं कर सकता।"
आत्मा: (गुस्से में) "तुम्हें मरना होगा, जैसे मैंने किया था।"
इसी बीच, स्कूल के चौकीदार ने रोहन को देख लिया और उसे बाहर निकालने की कोशिश की। चौकीदार ने रोहन को बताया कि उसे यहाँ नहीं आना चाहिए था, क्योंकि यह जगह बहुत ही खतरनाक है। रोहन ने सारी सच्चाई बताई और चौकीदार ने उसे एक उपाय बताया। उसने कहा कि अगर रोहन किसी अन्य निर्दोष व्यक्ति को आत्मा का साथी बना देगा, तो वह खुद बच सकता है।
रोहन ने अपने दिल में एक फैसला किया। वह किसी और की जिंदगी बर्बाद नहीं करना चाहता था। उसने आत्मा से कहा, "मैंने गलती की थी, लेकिन अब मैं तुम्हारे इस खेल का हिस्सा नहीं बनूंगा।" और इसके साथ ही, रोहन ने वह बैंड उतार दिया और फेंक दिया।
अचानक, पूरे कमरे में रोशनी फैल गई और आत्मा की चीखें गूँजने लगीं। वह धुंधला पड़ने लगी और अंततः गायब हो गई।
रोहन बेहोश हो गया और जब उसे होश आया, तो वह अस्पताल में था। डॉक्टर ने बताया कि वह बहुत गंभीर स्थिति में था लेकिन अब वह सुरक्षित है। उसके माता-पिता और परिवार के लोग उसके पास थे।
रोहन ने अपनी पूरी कहानी अपने माता-पिता को सुनाई। उन्होंने उसे समझाया कि इंसान की मेहनत और विश्वास ही उसकी असली ताकत होती है, न कि किसी आत्मा की मदद। रोहन ने खुद से वादा किया कि वह कभी भी इस तरह के शॉर्टकट का सहारा नहीं लेगा।
निष्कर्ष
प्रकाश विद्या निकेतन में अब भी उस आत्मा की कहानी सुनाई जाती है, लेकिन अब वह आत्मा रोहन के जैसे किसी और को अपना शिकार नहीं बना सकती। रोहन ने उस आत्मा से अपनी और दूसरों की जान बचाकर एक नई मिसाल कायम की। यह कहानी इस बात का सबक देती है कि जीवन में कोई शॉर्टकट नहीं होता, और कठिनाइयों का सामना करते हुए ही असली सफलता मिलती है।
यह कहानी एक भयानक अनुभव और एक महत्वपूर्ण सीख के साथ समाप्त होती है। उम्मीद है, यह आपको रोमांचित करेगी और एक सोचने पर मजबूर कर देगी कि वास्तविक जीवन में किसी भी तरह के शॉर्टकट के चक्कर में पड़ने से पहले हजार बार सोचना चाहिए।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें