दिल्ली की सर्दी वाली रात थी। कोहरा चारों ओर फैला हुआ था, और ठंड की तीव्रता इतनी थी कि हड्डियाँ तक कंपने लगी थीं। सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ था, केवल इक्का-दुक्का गाड़ियाँ ही नजर आ रही थीं। उस रात, राजू नाम का एक ऑटोवाला अपने ऑटो में बैठा, सवारी की तलाश में इधर-उधर घूम रहा था। उसकी जेबें खाली थीं, और उसे आज कुछ भी करके पैसे कमाने थे, ताकि वो अपने घर का खर्च चला सके। लेकिन उसे क्या पता था कि वो रात उसकी ज़िंदगी की सबसे डरावनी रात बनने वाली थी।
राजू ने अपना ऑटो न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी से लेकर ओखला मोड़ की ओर मोड़ दिया। रास्ते में उसने देखा कि एक औरत हाथ हिला रही है। औरत सफेद साड़ी में लिपटी हुई थी, बाल बिखरे हुए थे, और चेहरा धुंधलके में छिपा हुआ था। राजू ने सोचा कि इस सन्नाटे में अगर सवारी मिल रही है, तो क्यों न ले ली जाए।
राजू ने ऑटो रोक दिया और औरत से पूछा, "कहाँ जाना है, बहनजी?"
औरत ने बिना कुछ कहे ऑटो के पीछे की सीट पर बैठ गई। राजू ने फिर पूछा, "कहाँ जाना है?"
औरत ने धीरे से जवाब दिया, "सीधा चलते रहो।"
राजू को थोड़ा अजीब लगा, लेकिन उसने और कुछ न पूछा और ऑटो चलाना शुरू कर दिया। जैसे-जैसे वो आगे बढ़ता गया, उसे एहसास हुआ कि सड़कों पर और ज्यादा सन्नाटा हो रहा है। कोई दूसरी गाड़ी, कोई औरत-मर्द, कुछ भी नजर नहीं आ रहा था।
काफ़ी देर चलने के बाद राजू ने फिर से पूछा, "अब कहाँ जाना है?"
औरत ने अपनी आवाज में थोड़ी सर्दी लाते हुए कहा, "बस थोड़ी और दूर।"
राजू को और भी बेचैनी महसूस होने लगी। उसे अपने आस-पास की हर चीज़ अजीब लगने लगी थी। उसने सोचा कि शायद ये औरत कोई परेशानी में है। लेकिन उसका अंतर्मन कह रहा था कि कुछ गलत है।
आखिरकार राजू ने हिम्मत जुटाकर एक बार फिर पूछा, "बहनजी, आप कहाँ जाना चाहती हो?"
औरत ने इस बार जवाब नहीं दिया। राजू ने रियरव्यू मिरर में देखा, लेकिन उसे वहाँ कोई नहीं दिखा! वह हड़बड़ा कर पलटा और देखा कि औरत अब भी पीछे बैठी थी, लेकिन उसका चेहरा और भी डरावना हो गया था। उसका चेहरा सफेद, बेजान और उसकी आंखें बिलकुल काली हो गई थीं।
डर के मारे राजू का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। उसने समझ लिया कि ये कोई आम औरत नहीं है। वह किसी तरह इस परिस्थिति से बाहर निकलना चाहता था, लेकिन उसके पैर कंपकंपा रहे थे।
राजू ने ऑटो को तेजी से चलाना शुरू कर दिया, लेकिन जैसे ही उसने गति बढ़ाई, ऑटो अपने आप रुक गया। उसने लाख कोशिश की, लेकिन ऑटो फिर से चालू नहीं हुआ।
तभी वह औरत आगे की सीट पर आ गई और राजू के कानों में धीरे-धीरे फुसफुसाई, "क्यों भाग रहे हो? मुझे घर छोड़ने का वादा किया था न?"
राजू अब पूरी तरह से घबरा चुका था। उसने चिल्लाते हुए कहा, "तुम कौन हो? मुझे छोड़ दो! मुझसे क्या चाहिए तुम्हें?"
औरत ने अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ाया, और उसके हाथ में वो काला धागा दिखाई दिया जो कुछ दिनों पहले राजू की माँ ने उसे बुरी नजर से बचाने के लिए दिया था।
औरत ने हँसते हुए कहा, "ये धागा तुम्हें बचा नहीं सकता।"
राजू को अचानक याद आया कि उसकी माँ ने कहा था कि जब भी तुम्हें कोई बुरी शक्ति परेशान करे, तो 'हनुमान चालीसा' का जाप करो। डर के मारे कांपते हुए भी राजू ने हनुमान चालीसा का जाप शुरू कर दिया।
औरत ने उसे रोका, लेकिन जितना वो उसे रोकने की कोशिश करती, राजू उतनी ही तेजी से जाप करता। उसकी आवाज में विश्वास और हिम्मत बढ़ती गई। कुछ ही क्षणों में वह औरत चिल्लाई, "तुम्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा!" और एक जोरदार चीख के साथ वह औरत गायब हो गई।
राजू ने चैन की साँस ली, लेकिन उसकी हालत खराब हो चुकी थी। वो समझ गया था कि उसे किसी खौफनाक शक्ति ने घेर लिया था, लेकिन उसकी माँ के दिए विश्वास ने उसे बचा लिया।
उसने ऑटो को धीरे-धीरे चालू किया और वापस अपने घर की ओर चल दिया। रास्ते में, उसने ध्यान दिया कि चारों ओर फिर से हलचल हो रही थी, जैसे कुछ हुआ ही न हो।
लेकिन उस रात के बाद, राजू ने कभी रात में सवारी नहीं उठाई। और अगर कभी उसने सफेद साड़ी में किसी को देखा, तो वो बिना सोचे-समझे उसे छोड़ देता था।
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