अंधेरी रात का वक़्त था। गाँव के एक कोने में एक पुरानी हवेली, जहां शांति अपने बेटे राज, उसकी पत्नी सुमन, उनकी छोटी बेटी रिया, और राज की माँ दादी अम्मा के साथ रहती थी। हवेली बड़ी थी लेकिन थोड़ी वीरान और खामोश भी। ये परिवार अपनी दुनिया में खुश था, लेकिन उन्हें क्या पता था कि उनकी ये खुशियाँ जल्द ही एक डरावनी सच्चाई से टकराने वाली थीं।
एक दिन राज, सुमन और रिया गाँव के पास के जंगल में घूमने गए। ये जंगल घना और रहस्यमयी था, और लोग अक्सर इसके पास जाने से डरते थे। घूमते-घूमते, उन्हें एक छोटा बच्चा दिखाई दिया। वह लगभग 6-7 साल का होगा, बहुत ही कमजोर और गंदे कपड़ों में था। उसकी आँखों में एक अजीब-सी उदासी और खौफ था।
राज ने सुमन से कहा,
"ये बच्चा यहाँ अकेला क्या कर रहा है? इसे यहाँ छोड़ देना ठीक नहीं लगेगा।"
सुमन ने भी सहमति में सिर हिलाया,
"हमें इसे अपने साथ घर ले चलना चाहिए। ये अकेला और भूखा लग रहा है।"
रिया ने मासूमियत से उस बच्चे से पूछा,
"तुम्हारा नाम क्या है?"
बच्चे ने कुछ नहीं कहा, बस अपनी बड़ी-बड़ी लाल आँखों से रिया को देखा। उसकी चुप्पी में एक भयानक रहस्य था जिसे कोई समझ नहीं पाया।
राज ने बच्चे को गोद में उठाया और वे उसे अपने घर ले आए। जब दादी अम्मा ने उस बच्चे को देखा, तो उनकी आँखों में अजीब सा खौफ आ गया।
"इस बच्चे को यहाँ मत रखो," दादी अम्मा ने कहा, "इसमें कुछ ठीक नहीं लग रहा।"
लेकिन राज और सुमन ने दादी की बात को मज़ाक समझ कर नज़रअंदाज़ कर दिया।
रात को हवेली में अजीब घटनाएँ होने लगीं। दरवाज़े खुद-ब-खुद खुलने लगे, हल्की-हल्की आवाजें गूंजने लगीं। रिया ने भी अपने कमरे में किसी की परछाई देखने की बात कही, लेकिन सबने सोचा कि ये सिर्फ उसका भ्रम है।
अगली सुबह, जब दादी अम्मा पूजा करने बैठी थीं, तभी वह बच्चा उनके पास आया। उसकी आँखें पहले से ज्यादा लाल और गहरी हो चुकी थीं।
"दादी," वह धीरे से बोला, "क्या आप मुझे अपने पास बैठा लेंगी?"
दादी अम्मा ने उसे नज़रअंदाज़ किया। उन्होंने महसूस किया कि बच्चा सामान्य नहीं है। अचानक बच्चे ने दादी की तरफ बढ़ते हुए उनका गला पकड़ लिया। दादी अम्मा के मुँह से चीख निकलने से पहले ही वह बच्चा उनका दम घोंट चुका था। उनकी आँखों में खौफ और शरीर में जान नहीं बची थी।
शांति ने दादी की चीख सुनी और दौड़ती हुई आई, लेकिन कमरे में पहुंची तो दादी की निर्जीव देह देखकर उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई। बच्चा वही खड़ा मुस्कुरा रहा था, उसकी मुस्कान में अब वह मासूमियत नहीं बल्कि एक दहशत थी।
राज और सुमन ने जैसे ही इस घटना के बारे में सुना, वे डर के मारे सहम गए।
"यह बच्चा शैतान है!" सुमन ने कांपते हुए कहा, "हमें इसे यहाँ से बाहर निकालना होगा।"
राज ने बच्चे से पूछा,
"तुम कौन हो? और ये सब क्या हो रहा है?"
बच्चा मुस्कुराया और बोला,
"मैं 1000 सालों से भटक रहा हूँ। मुझे अब तक कोई अपनी जान का बलिदान देने वाला नहीं मिला था... लेकिन अब तुम लोग हो।"
उसकी आवाज़ में अब एक अजीब गूंज थी, जैसे कई आवाज़ें एक साथ बोल रही हों।
राज, सुमन और शांति ने घर से बाहर भागने की कोशिश की, लेकिन दरवाजे बंद हो चुके थे। हर कोने से आवाज़ें आ रही थीं। अचानक लाइट्स बुझ गईं और चारों ओर अंधेरा छा गया। सुमन ने अपनी बेटी को कसकर पकड़ा,
"हमें कुछ करना होगा, जल्दी।"
आखिरकार, जब सब कुछ खत्म होने को था, राज को याद आया कि दादी अम्मा ने एक पुरानी किताब में किसी शैतान के बारे में ज़िक्र किया था। वह भागते हुए दादी के कमरे में गया और किताब ढूंढने लगा। जैसे ही उसने उस किताब को खोला, उसने एक मंत्र देखा। यह मंत्र उस शैतानी बच्चे को रोकने का एकमात्र उपाय था।
राज ने साहस जुटाया और जोर-जोर से मंत्र पढ़ने लगा। बच्चा चीखने लगा, उसकी आँखों से खून बहने लगा। उसने खुद को बचाने की कोशिश की, लेकिन मंत्र के प्रभाव से वह धीरे-धीरे गायब होने लगा। उसकी चीखें हवेली के हर कोने में गूंजने लगीं और फिर अचानक सब शांत हो गया।
शैतानी बच्चे के गायब होते ही दरवाजे खुल गए। राज, सुमन, और रिया ने राहत की सांस ली, लेकिन दादी अम्मा की मौत ने उस परिवार को बुरी तरह तोड़ दिया था। हवेली में अब भी उस बच्चे की यादें थीं, और शायद वह कभी लौटे भी...
इस कहानी से यह सीख मिलती है कि अनजान चीजों या व्यक्तियों पर अंधविश्वास करना खतरनाक हो सकता है। कभी-कभी हमारी दया और सहानुभूति हमें मुसीबत में डाल सकती है, खासकर जब हम बिना सोचे-समझे किसी अनजान तत्व को अपने जीवन में शामिल कर लेते हैं। साथ ही, यह भी संदेश देता है कि पुराने लोगों की बातें और चेतावनियों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि उनके अनुभव जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखा सकते हैं
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