यह कहानी एक साधारण आदमी, विवेक की है, जो एक अनजान मुसीबत में फंस जाता है। एक दिन वह अपने एक दोस्त की शमशान यात्रा में जाता है, और वहीं उसकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल जाती है।
विवेक अपने बचपन के दोस्त, रमेश की मौत की खबर सुनकर गहरे दुख में डूबा हुआ था। रमेश का अंतिम संस्कार शहर के पुराने शमशान घाट पर होना तय था, जो शहर से काफी दूर और सुनसान जगह पर था। जब वह शमशान पहुंचा, तो चारों तरफ एक अजीब सा सन्नाटा और घनी चुप्पी थी। चारों ओर सूखी घास और पुरानी, टूटी-फूटी चिताएं थीं। शमशान घाट हमेशा से ही रहस्यमय और डरावना माना जाता था।
"शमशान का ये माहौल कितना भारी है, मानो कुछ छुपा हुआ हो," विवेक ने अपने आप से कहा।
विवेक और अन्य लोग चिता के पास खड़े थे, जब अचानक उसकी ऊँगली कट गई और उसकी एक बूंद खून चिता के पास गिर गई। उस वक्त उसे इसका ज्यादा एहसास नहीं हुआ, लेकिन वो एक अनजानी मुसीबत को दावत दे चुका था।
शमशान से वापस लौटने के बाद विवेक की ज़िन्दगी में अजीब-अजीब घटनाएं होने लगीं। सबसे पहले उसे लगा कि कोई उसे देख रहा है। रात के अंधेरे में जब वह सोने जाता, तो उसे लगता जैसे कोई साया उसके पास खड़ा है। उसकी नींद टूट जाती, और कमरे में अजीब-सी ठंडक महसूस होती।
एक रात, उसे बाथरूम में जाते समय आईने में अपने पीछे एक धुंधली आकृति दिखाई दी।
"ये क्या... कौन है?" वह जोर से चिल्लाया, पर कोई जवाब नहीं मिला। पर उसकी धड़कन तेज हो चुकी थी। उसने तुरंत पीछे मुड़कर देखा, पर वहां कोई नहीं था।
वह तेजी से अपने बिस्तर पर लौटा, पर नींद उससे कोसों दूर थी।
जैसे-जैसे दिन बीतते गए, विवेक की हालत बिगड़ती गई। उसका चेहरा पीला पड़ने लगा, आँखों के नीचे काले घेरे बन गए, और उसे रात भर नींद नहीं आती थी।
"विवेक, तुम ठीक हो? तुम्हारी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही," उसकी पत्नी साक्षी ने चिंता से पूछा।
"पता नहीं साक्षी, मुझे अजीब-अजीब चीजें महसूस हो रही हैं। जैसे कोई हर वक्त मेरे साथ है... देख रहा है।"
"शायद तुम बहुत तनाव में हो। कुछ दिन के लिए आराम कर लो," साक्षी ने उसे समझाने की कोशिश की।
लेकिन, असलियत इससे कहीं ज्यादा भयावह थी।
एक दिन विवेक अपने पुराने दोस्त, राजेश से मिला जो इन मामलों में थोड़ा-बहुत जानता था। उसने राजेश को अपनी सारी परेशानी बताई।
"विवेक, क्या तुमने शमशान में कोई गलती की थी?" राजेश ने गंभीरता से पूछा।
"बस मेरी ऊँगली कट गई थी, और खून की एक बूंद चिता के पास गिर गई थी। क्या इसका कोई मतलब है?" विवेक ने घबराते हुए जवाब दिया।
राजेश का चेहरा सख्त हो गया। "शमशान में खून का गिरना बहुत बुरा माना जाता है। हो सकता है कि वही आत्मा अब तुम्हारे पीछे लगी हो। तुम्हें तुरंत किसी तांत्रिक से मिलना होगा।"
राजेश की सलाह पर, विवेक और साक्षी एक जाने-माने तांत्रिक के पास गए। तांत्रिक ने ध्यान से सब सुना और कहा, "विवेक, तुम पर एक बहुत शक्तिशाली आत्मा का साया है। तुम्हें उस आत्मा से छुटकारा पाने के लिए उसी शमशान में वापस जाना होगा।"
"क्या? मैं फिर से वहाँ नहीं जा सकता!" विवेक डरते हुए बोला।
"और कोई रास्ता नहीं है," तांत्रिक ने ठंडे स्वर में कहा।
विवेक ने आखिरकार हिम्मत जुटाई और रात के अंधेरे में तांत्रिक और राजेश के साथ शमशान वापस गया। वहां पहुँचते ही माहौल और भी डरावना हो गया। ठंडी हवाएँ और चारों ओर सन्नाटा था।
"विवेक, जहां तुम्हारा खून गिरा था, वहीं बैठो," तांत्रिक ने आदेश दिया।
विवेक काँपते हुए चिता के पास बैठा। तभी अचानक हवा में एक तेज़ सिहरन हुई, और चारों ओर से अजीब-अजीब आवाजें आने लगीं।
तांत्रिक ने मंत्र पढ़ना शुरू किया, और तभी एक भयानक साया सामने आया। उसकी आँखें लाल और भयानक थीं।
"तू क्यों आया मेरे स्थान पर?" आत्मा गरजती हुई बोली।
विवेक काँपते हुए बोला, "मैंने कुछ नहीं किया... बस गलती से खून गिर गया था।"
"अब तेरा खून ही तुझे मुक्ति देगा!" आत्मा जोर से चिल्लाई और तेजी से विवेक की ओर बढ़ी।
आत्मा ने जोर से हंसी और तांत्रिक के मंत्रों के बावजूद उस पर हमला करने लगी। तांत्रिक के चेहरे पर डर के भाव आ गए थे।
जब आत्मा विवेक पर हमला कर रही थी, तभी अचानक साक्षी ने अपनी उंगली चाकू से काट ली, और उसकी खून की बूंद जमीन पर गिराई।
"अब मैं तुझे अपने पति से दूर रखूंगी!" साक्षी ने आत्मविश्वास से कहा।
आत्मा अचानक चीख उठी और एक भयानक हंसी के साथ गायब हो गई।
तांत्रिक हैरान था, "यह तुमने क्या किया?"
साक्षी ने कहा, "तुम्हारे मंत्र काम नहीं कर रहे थे, इसलिए मैंने सोचा कि इस आत्मा को भी किसी और की खून की जरुरत होगी। अब यह आत्मा हमेशा के लिए खत्म हो गई।"
विवेक और साक्षी ने चैन की सांस ली
लेकिन तांत्रिक ने गंभीर स्वर में कहा, "ये खत्म नहीं हुआ है। आत्मा वापस आएगी, अगर तुझे फिर से चोट लगी या खून गिरा। ये सिर्फ अस्थाई राहत है।"
रात को, जब साक्षी अकेले अपने कमरे में थी, उसे लगा कि कोई उसकी छाया में हंसी बिखेर रहा है।
और एक रात, जब उसकी ऊँगली फिर से कट गई...
और फिर... दरवाजा खुद-ब-खुद बंद हो गया।
शमशान या किसी भी अन्य रहस्यमय जगह पर ध्यानपूर्वक रहना चाहिए। किसी अनजाने स्थान पर जाने पर छोटी-छोटी चीज़ों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण होता है, जैसे कि विवेक को अपने खून की बूंद गिरने का एहसास नहीं हुआ, और इस वजह से उसे आत्मा का सामना करना पड़ा।रहस्यमय और अनजानी चीज़ों के प्रति हमेशा सचेत और सतर्क रहना चाहिए।
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