अनय, एक सामान्य सा लड़का, काम की तलाश में एक नए शहर में आया था। शहर की गलियाँ नई थीं, लोग अजनबी। उसने एक पुराना, लेकिन सस्ता घर किराए पर लिया, जो उसकी सीमित आमदनी के लिहाज से ठीक था। मोहल्ला शांत था, और घर कुछ ज्यादा बड़ा नहीं था, पर उसके लिए पर्याप्त था। मकान मालिक, मिस्टर शर्मा, एक बूढ़ा आदमी था, जिसने जल्दी ही अनय से दोस्ती कर ली थी।
शुरुआती दिन काफी सामान्य रहे। अनय रोज़ सुबह काम पर जाता और रात को लौटकर खाना खाकर सो जाता। लेकिन कुछ दिनों बाद, चीजें अजीब होने लगीं।
एक रात, जब वह अपने कमरे में आराम कर रहा था, उसे लगा जैसे कोई उसके घर के दरवाजे के पास खड़ा है। उसने सोचा शायद कोई बगल के घर का बच्चा होगा, लेकिन दरवाजे पर जाकर देखने पर वहाँ कोई नहीं थाl
एक दिन अनय रसोई में खाना बना रहा था, तभी उसे पीछे से किसी के चलने की आवाज़ आई। जब उसने मुड़कर देखा, तो एक नन्हा सा बच्चा दरवाजे के पास खड़ा मुस्कुरा रहा था। बच्चा लगभग दो साल का होगा, उसकी गोल-गोल आँखें और मासूम चेहरा देखकर अनय को लगा कि यह पास के किसी घर का होगा जो गलती से आ गया होगा।
अनय ने कहा, “अरे, तुम कौन हो? कहाँ से आए हो?”
बच्चा सिर्फ हँस रहा था। अनय को यह थोड़ा अजीब लगा, लेकिन उसने बच्चे को कुछ टॉफ़ी दी और कहा, “जाओ, घर जाओ।”
बच्चे ने टॉफ़ी ली और दरवाजे से बाहर चला गया। अनय ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया, लेकिन अगली सुबह जब वह काम पर जाने के लिए बाहर निकला, तो उसे पड़ोस के किसी भी घर में उस बच्चे जैसा कोई नज़र नहीं आया।
कुछ दिनों तक सब ठीक रहा, लेकिन फिर से वह बच्चा रात में दिखाई देने लगा। कभी खिड़की पर दिखता, कभी कमरे के कोने में खेलता हुआ। अनय उसे हल्के में लेता रहा, सोचता था कि शायद यह उसका वहम होगा। एक रात, जब वह गहरी नींद में था, अचानक उसे अपने कानों के पास बच्चे की धीमी आवाज़ सुनाई दी, “भैया, मुझे खेलने दो।”
अनय घबराकर उठ बैठा। कमरे में चारों तरफ देखा, पर वहाँ कोई नहीं था। दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसने सोचा शायद उसने सपना देखा होगा। लेकिन उसकी नींद उड़ चुकी थी। उसने पूरी रात जागते हुए बिताई।
अगले दिन मकान मालिक मिस्टर शर्मा से बात करते हुए अनय ने बताया, “शर्मा जी, ये घर में एक बच्चा रोज़ आता है। आपको पता है, आस-पास ऐसा कोई बच्चा है?”
शर्मा जी थोड़ी देर चुप रहे, फिर बोले, “बच्चा? कौन बच्चा? यहाँ आसपास तो कोई दो साल का बच्चा नहीं है।”
अनय हैरान रह गया। उसने कहा, “अजीब बात है। मुझे लगा कि कोई आस-पास का बच्चा होगा।”
शर्मा जी ने हल्का सा हंसते हुए कहा, “अरे बेटा, हो सकता है तुम्हारा वहम हो। नया शहर, नया माहौल, ऐसा हो जाता है।”
अनय ने खुद को समझाया कि शायद वह ज्यादा सोच रहा है।
डर और बढ़ता है:
लेकिन घटनाएँ और भी भयावह होती गईं। अब बच्चा सिर्फ दिखता ही नहीं था, उसकी हरकतें भी अजीब होने लगी थीं। वह घर में इधर-उधर भागता, खेलता, लेकिन उसकी हंसी अनय को परेशान करने लगी। एक रात, जब अनय बिस्तर पर था, उसने महसूस किया कि कोई उसके पैर के पास बैठा है। उसने उठकर देखा, वही बच्चा उसकी ओर घूर रहा था।
अनय ने घबराकर पूछा, “तुम कौन हो? तुम यहाँ क्या कर रहे हो?”
बच्चा बस हंसता रहा, उसकी हंसी अब पहले जैसी मासूम नहीं थी। यह हंसी कुछ और थी, कुछ डरावनी। अनय का शरीर कांपने लगा। उसने रोशनी जलाने के लिए स्विच की तरफ हाथ बढ़ाया, लेकिन जैसे ही बत्ती जली, बच्चा गायब हो चुका था। उस रात अनय को पहली बार अहसास हुआ कि कुछ बहुत बड़ा गड़बड़ है।
अब अनय का डर हद से ज्यादा बढ़ चुका था। उसने ठान लिया कि वह शर्मा जी से फिर बात करेगा। अगली सुबह वह उनके पास गया और सीधा पूछा, “शर्मा जी, इस घर में कोई अजीब घटना हो रही है। वो बच्चा…वो हर रात आता है, और वो...वो सच में है या मेरी कल्पना?”
शर्मा जी का चेहरा देखते ही अनय को समझ आ गया कि कुछ छुपाया जा रहा है। शर्मा जी ने गहरी सांस लेते हुए कहा, “तुम्हें वो बच्चा दिखता है?”
अनय ने हाँ में सिर हिलाया। तब शर्मा जी ने धीरे-धीरे एक पुरानी कहानी सुनाई, “ये बच्चा कभी इस घर में रहता था। दस साल पहले की बात है। उसका नाम रोहन था। एक दिन उसकी माँ उसे घर पर अकेला छोड़कर बाहर गई, और... उस दिन एक हादसा हुआ। उस मासूम बच्चे की जान चली गई।”
अनय का दिल धक से रह गया। उसने कांपते हुए कहा, “लेकिन... वो तो हर रात मेरे सामने आता है। मैं उसे महसूस कर सकता हूँ। वो... वो क्या चाहता है?”
शर्मा जी ने अपनी आँखें नीची करते हुए कहा, “हम नहीं जानते। लेकिन कई सालों से इस घर में जो भी रहने आया, उसने यही महसूस किया। वो बच्चा यहाँ से कभी गया ही नहीं।”
अब अनय के पास कोई चारा नहीं था। वह जानता था कि उस घर में कुछ भयानक छुपा हुआ था। एक रात, जब फिर से बच्चे की आवाज़ आई, अनय ने हिम्मत जुटाई। उसने कमरे के कोने में देखा, जहाँ बच्चा खड़ा था। अनय ने कांपते हुए कहा, “तुम क्या चाहते हो? क्यों मुझे तंग कर रहे हो?”
बच्चे ने एक क्षण के लिए उसकी ओर देखा, फिर बोला, “मुझे घर चाहिए। मुझे अपना घर चाहिए।”
अनय ने समझने की कोशिश की। “तुम्हारा घर? लेकिन ये तो तुम्हारा घर है।”
बच्चा कुछ नहीं बोला। बस उसकी आँखें अनय को घूरती रहीं। अनय ने महसूस किया कि यह घर ही उसकी कैद थी। वह बच्चा इस घर में फंसा हुआ था, शायद उसे मुक्ति चाहिए थी, लेकिन कैसे?
अगले दिन, अनय ने फैसला किया कि वह इस रहस्य से छुटकारा पाएगा। वह मकान छोड़ने की तैयारी करने लगा, लेकिन उसी रात कुछ भयानक हुआ। बच्चा फिर से आया, इस बार उसकी उपस्थिति और ज्यादा भयानक थी। उसकी आँखें काली थीं, और उसकी हंसी गूंज रही थी। अनय ने डरते हुए दरवाजा बंद कर लिया, लेकिन वह बच्चा दीवारों के आर-पार जाने लगा।
आखिरकार, अनय ने देखा कि उसके चारों ओर अंधेरा छा गया था। और फिर वह चीख सुनाई दी... उस चीख में ऐसी पीड़ा थी, जिसे अनय कभी भूल नहीं सकता था।
सुबह होने पर मकान मालिक जब अनय के घर पहुंचे, उन्होंने दरवाजा तोड़ा, लेकिन अंदर का दृश्य खौफनाक था। अनय का शरीर ठंडा हो चुका था, और दीवारों पर खून से लिखा था, "मुझे मेरा घर चाहिए..."
मकान मालिक ने एक लंबी सांस ली और कहा, “वो कभी नहीं जाएगा…”
कहानी का अंत यही था कि अनय को घर छोड़ने का मौका ही नहीं मिला।
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