अज़ल और जिया: प्यार, नफरत और एक नई ज़िंदगी की शुरुआत
"कभी-कभी, नफरत के बीज से भी प्यार का फूल खिल सकता है। लेकिन जब अंधेरा उस फूल को मुरझाने पर मजबूर कर दे, तब क्या होगा?"
शादी के बाद अज़ल और जिया के बीच हर दिन तकरार होती थी। जिया ने कभी नहीं चाहा था कि वह अज़ल के साथ रहे। वह मजबूरी में बंधी थी, और अज़ल को भी यह रिश्ता किसी सजा से कम नहीं लगता था। लेकिन, न चाहते हुए भी वे एक-दूसरे के करीब आने लगे थे।
एक रात, अज़ल पार्टी से लौटा तो जिया कमरे में बैठी थी। वह अपनी जगह से उठने ही वाली थी कि अज़ल ने दरवाजा बंद कर दिया।
"कहाँ जा रही हो?"
"तुम्हारी कोई भी बात सुनना मेरी ज़रूरत नहीं है," जिया ने ठंडे स्वर में कहा।
अज़ल ने उसकी कलाई पकड़ ली। "सिर्फ सुनना नहीं, समझना भी ज़रूरी है।"
जिया ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन अज़ल ने उसे पास खींच लिया। उनकी साँसें आपस में उलझने लगीं।
"तुम क्या चाहते हो?" जिया ने धीरे से कहा, उसकी आवाज़ में गुस्सा और डर दोनों थे।
अज़ल ने बिना हिचक कहा, "तुम्हें... तुम्हारी हर नफरत के बावजूद, मैं सिर्फ तुम्हें चाहता हूँ।"
वह रात – जब हदें मिट गईं
अज़ल की आँखों में कुछ ऐसा था जिससे जिया का विरोध कमजोर पड़ने लगा। वह जानती थी कि यह सही नहीं था, लेकिन अज़ल के करीब होने पर उसकी धड़कनें तेज हो जाती थीं।
"तुम मुझसे इतनी नफरत क्यों करती हो?" अज़ल ने उसके चेहरे पर हाथ फेरते हुए पूछा।
"क्योंकि तुमने मुझे बर्बाद कर दिया।"
अज़ल ने धीरे से कहा, "अगर मैं खुद को तुम्हारे लिए बदल दूँ, तब?"
जिया ने कुछ नहीं कहा, बस उसकी आँखों में देखती रही।
अगले ही पल, अज़ल ने उसे अपने करीब खींच लिया। जिया का दिल तेज़ी से धड़कने लगा।
"अगर तुम चाहो तो अभी मुझे धक्का देकर दूर कर सकती हो," अज़ल ने फुसफुसाते हुए कहा।
लेकिन जिया ने कुछ नहीं किया।
उस रात...
उनकी नफरत, प्यार में बदल गई।
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सुबह का सच – नई शुरुआत?
सुबह जब जिया उठी, तो अज़ल गहरी नींद में था। उसने पहली बार उसे इतने शांत रूप में देखा था।
क्या यह सही था?
जिया खुद को समझाने की कोशिश कर रही थी कि यह सब एक गलती थी, लेकिन उसका दिल कुछ और कह रहा था।
अचानक अज़ल ने आँखें खोलीं और मुस्कुराया। "भाग क्यों रही हो?"
जिया चौंक गई। "मैं... मैं भाग नहीं रही।"
"तो फिर ठहरो।"
अज़ल ने उसका हाथ पकड़ लिया।
गर्भावस्था का अहसास – अनकही खुशी या डर?
कुछ हफ्तों बाद, जिया को अजीब महसूस होने लगा। वह जल्दी थकने लगी, हर समय नींद आती थी और खाने की गंध से भी उल्टी जैसा लगने लगा था।
"तुम ठीक तो हो?" अज़ल ने पूछा।
"हाँ... नहीं... मुझे नहीं पता।"
जिया डॉक्टर के पास गई। जब उसने रिपोर्ट देखी, तो उसकी आँखों में आँसू आ गए।
"आप माँ बनने वाली हैं।"
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अज़ल की प्रतिक्रिया – खुशी या डर?
घर लौटकर जिया सोच रही थी कि यह खबर अज़ल को कैसे बताए। क्या वह खुश होगा?
रात को जब अज़ल कमरे में आया, तो जिया ने उसकी तरफ देखा।
"मुझे तुमसे कुछ कहना है।"
अज़ल ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "मैं पहले ही समझ गया हूँ।"
"क्या?"
"जिया, मैं तुमसे हर दिन नफरत करता था, लेकिन तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकता। अब जब हमारे बीच एक और रिश्ता बनने वाला है, तो मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता।"
जिया को समझ नहीं आ रहा था कि यह वही अज़ल था जो कभी क्रूर और बेरहम हुआ करता था।
उसने हल्की आवाज़ में कहा, "मैं... मैं माँ बनने वाली हूँ।"
अज़ल ने कुछ देर उसे देखा, फिर उसकी आँखों में चमक आ गई। "सच?"
जिया ने हाँ में सिर हिला दिया।
अज़ल ने उसे गले लगा लिया।
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खुशियाँ और अंधेरा – कुछ सही नहीं था
गर्भावस्था के दौरान सबकुछ अच्छा चल रहा था। अज़ल जिया का पूरा ख्याल रख रहा था। लेकिन धीरे-धीरे, अजीब घटनाएँ होने लगीं।
रात के समय, जिया को अजीब आवाज़ें सुनाई देने लगीं। कभी-कभी उसे ऐसा लगता कि कोई उसके पास खड़ा है।
एक रात, उसने आईने में देखा—
उसका प्रतिबिंब हिल रहा था, लेकिन वह खुद स्थिर खड़ी थी।
"यह सब मेरे दिमाग का खेल है," जिया खुद को समझाने लगी।
लेकिन यह सिर्फ उसका भ्रम नहीं था।
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डिलीवरी के दिन – मौत का साया
डिलीवरी के समय, जिया को ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया। बाहर अज़ल बेसब्री से इंतजार कर रहा था।
अचानक, अस्पताल की बत्तियाँ टिमटिमाने लगीं। हवा में अजीब सी ठंडक फैल गई।
डॉक्टर और नर्सें घबरा गईं।
"यह कैसा अंधेरा है?" एक नर्स ने डरते हुए कहा।
जिया की आँखें खुलीं। उसे अपने शरीर से कुछ अलग महसूस हुआ।
फिर उसने देखा—
ऑपरेशन थिएटर के कोने में एक परछाईं खड़ी थी।
"यह बच्चा मेरा है," उस साये ने कहा।
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अज़ल का संघर्ष – आखिरी फैसला
बाहर बैठा अज़ल यह सब महसूस कर रहा था। उसे अहसास हुआ कि वही साया जो उसे सालों से परेशान कर रहा था, अब उसके बेटे को लेने आया है।
"नहीं!!!"
अज़ल ऑपरेशन थिएटर के दरवाजे पर भागा।
अंदर जाकर उसने देखा कि जिया बेहोश थी, और साया बच्चे को छूने वाला था।
"अगर यह तेरा बच्चा है, तो पहले मुझे खत्म करना होगा!!" अज़ल ने चिल्लाया।
साया हंसा। "तुम्हें क्या लगता है कि मैं तुम्हें छोड़ दूँगा?"
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साया का अंत या नई शुरुआत?
अज़ल ने हिम्मत जुटाकर एक तावीज़ निकालकर बच्चे के ऊपर रख दिया।
साया अचानक चीखने लगा।
"नहीं... यह संभव नहीं!!!"
अचानक तेज़ रोशनी फैली और वह साया गायब हो गया।
बच्चे की किलकारी गूँज उठी।
डॉक्टरों ने राहत की सांस ली, और जिया ने धीरे से आँखें खोलीं।
"अज़ल... क्या सब सही है?"
अंत
अस्पताल से लौटने के बाद सब कुछ सामान्य लग रहा था। जिया और अज़ल अपने बच्चे के साथ खुश थे। अज़ल हर पल जिया का ख्याल रख रहा था, और जिया ने पहली बार महसूस किया कि अज़ल सच में बदल चुका है।
रात को, जब जिया बच्चे को गोद में लेकर लोरी सुना रही थी, तो अज़ल ने प्यार से उसके माथे को चूमा।
"अब कोई डर नहीं, कोई साया नहीं। बस हम तीनों... एक नई ज़िंदगी की शुरुआत," अज़ल ने धीरे से कहा।
जिया मुस्कुराई। "हाँ, अब सब सही है।"
लेकिन जैसे ही उसने बच्चे की आँखों में देखा, उसकी साँसें थम गईं।
बच्चे की आँखें हल्की लाल चमक रही थीं।
जिया के होंठों से एक हल्की चीख निकलने ही वाली थी कि बच्चे ने अचानक मुस्कुरा दिया।
पर वह मुस्कान... इंसानी नहीं थी।
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