दीवाली का त्यौहार था। पूरा शहर रौशनी से जगमगा रहा था। हर तरफ पटाखों की आवाज़ें और मिठाइयों की खुशबू बिखरी हुई थी। घरों में दीयों की कतारें सजी थीं, और हर कोई खुशी में झूम रहा था। इसी बीच, रोहित अपने घर में माँ के साथ दीवाली की पूजा कर रहा था। पूजा के बाद, उसने घर में कुछ और दिए जलाए और अपने दोस्त राजीव से मिलने की तैयारी करने लगा, क्योंकि उसने राजीव से पटाखे फोड़ने का वादा किया था। जैसे ही रोहित बाहर जाने को हुआ, उसकी माँ ने उसे रोक लिया। माँ की आँखों में एक अजीब सा डर झलक रहा था। "बेटा," माँ ने गंभीर स्वर में कहा, "आज अमावस की रात है। ऐसी रातों में लोग कई तरह के तंत्र-मंत्र और टोटके करते हैं। सावधान रहना।" रोहित ने माँ की बात को हल्के में लिया और हँसते हुए कहा, "माँ, बस थोड़ी देर की ही तो बात है। मैं जल्दी वापस आ जाऊँगा। चिंता मत करो।" इतना कहकर, वह बाहर निकल गया। माँ के चेहरे पर चिंता के बादल घिर आए, पर रोहित ने इसकी परवाह नहीं की। बाहर उसके दोस्त राजीव पहले से खड़ा उसका इंतजार कर रहा था। "अरे! देर लगा दी तूने, चल अब जल्दी से...
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