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ख़ामोशी की चीख़

  रात के 11 बजे थे, और राघव अपने घर में अकेला था। बाहर तेज़ हवा चल रही थी और पूरी गली ख़ामोशी में डूबी थी। घर के अंदर भी अंधेरा छाया हुआ था, सिर्फ़ एक कोने में एक हल्की सी लैंप की रोशनी जल रही थी। राघव ने किताब बंद की और एक गहरी सांस ली। उसकी आँखों में नींद by Nisha Yadav