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साए का इश्क़-3

"तन्हाई के अंधेरों में जब साए उभरते हैं, दिल की गहराई में खौफ और मोहब्बत दोनों ठहरते हैं। जिसे समझा था दुश्मन, वही अपना लगने लगे, इस अजनबी खेल में दिल और दिमाग दोनों उलझने लगे।" अज़ल और जिया की शादी एक सजा थी, जो अदालत के फैसले की वजह से हुई। जिया के लिए यह रिश्ता उसकी इज्ज़त पर लगी चोट को सहने का जरिया था, जबकि अज़ल इसे सिर्फ एक मजबूरी मानता था। मगर इस रिश्ते में एक और अदृश्य किरदार भी था—अज़ल पर एक जिन्न का साया। शादी के बाद से जिया को अज़ल में बदलाव नजर आने लगे। वह रातों को नींद में बड़बड़ाता, चीखता और कभी-कभी खुद से बातें करता। जिया को यह सब सामान्य नहीं लगा। उसने मौलवी से सलाह ली, जिसने उसे एक तावीज़ दिया और कहा कि इसे अज़ल के कमरे में रख दे। जब जिया ने ऐसा किया, तो अज़ल और भी गुस्सैल और बेचैन हो गया। वह जिया से दूर रहने की कोशिश करता, मगर उसकी आँखों में एक खौफ साफ झलकता था। एक दिन अज़ल और जिया के घर पर एक डिनर पार्टी का निमंत्रण आया। अज़ल ने जिया को तैयार होने के लिए कहा। "मैं कहीं नहीं जाना चाहती," जिया ने नफरत भरी नजरों से कहा। "तुम्हारे चाह...