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कहानी: मौत की सवारी

 हर रोज़ की तरह रमेश अपने गांव से शहर की ओर जा रहा था। वह अपने घर से निकलकर बस अड्डे की ओर बढ़ा। रास्ते में उसकी मुलाकात अपने दोस्तों राहुल और राजू से हुई। रमेश: "चलो भाई, आज का दिन कुछ खास होना चाहिए। शहर में बहुत काम है, लेकिन मस्ती भी करेंगे।" राहुल: "सही कहा यार, आज तो शहर जाकर जमकर मस्ती करेंगे।" जैसे ही बस अड्डे पर पहुँचे, बस नंबर 404 ने अपने दरवाजे खोले। यह बस रोज़ की बस से थोड़ी अलग लग रही थी। बस के दरवाजे पर एक धुंधली रोशनी फैली हुई थी, और अंदर का माहौल भी अजीब सा था। बस धीरे-धीरे चलने लगी। जैसे ही बस गांव से बाहर निकली, अचानक मौसम बदल गया। बादल घिरने लगे और आसमान काले घने बादलों से ढक गया। रमेश: "यार, ये अचानक मौसम कैसे बदल गया?" राजू: "पता नहीं भाई, लेकिन कुछ अजीब सा लग रहा है।" जैसे-जैसे बस आगे बढ़ती गई, सवारियों को महसूस होने लगा कि बस का ड्राइवर किसी दूसरी दुनिया में खोया हुआ है। उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। रमेश और उसके दोस्तों ने ड्राइवर से बात करने की कोशिश की। रमेश: "भैया, ये रास्ता सही है न?" ड्राइवर:...