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साए का इश्क़

खामोश रातों में कोई साया मिलता है, दिल को दरिया सा कोई दर्द छलकाता है। नफ़रत की राहों में जब मोहब्बत की बूंदें गिरती हैं, तब अंधेरे भी उजाले का नाम लेते हैं।” कहानी की शुरुआत अज़ल, एक अनाथ गैंगस्टर, जिसके अंदर एक खौफनाक जिन्न का साया रहता है, अपने अकेलेपन और अंधेरे से लड़ रहा है। जिन्न उसे हिंसा और गुनाह की दुनिया में और गहरे धकेलता है। दूसरी तरफ, ज़िया, एक मासूम लड़की, अनजाने में अज़ल को एक गैरकानूनी काम करते हुए देख लेती है और पुलिस को सूचना देती है। अज़ल जेल जाता है और रिहा होने पर ज़िया से बदला लेने की ठानता है। रात के घने अंधेरे में सन्नाटा पसरा हुआ था। हल्की-हल्की ठंडी हवा में शहर की वीरान सड़कों पर एक साया लड़खड़ाते हुए चल रहा था। यह साया था अज़ल—एक अनाथ गैंगस्टर, जिसने जिंदगी को बस गुनाह और नफरत के साथ जिया था। वो नशे में धुत था, उसकी आँखें आधी बंद, कदम लड़खड़ा रहे थे। उसकी पहचान सिर्फ उसका खौफ था, और उसका साथी केवल उसका गुनाह। अज़ल के अंदर एक अंधेरे का साया छिपा हुआ था—एक जिन्न का, जो उसके गुनाहों में उसके साथ रहा, उसकी आत्मा को धीरे-धीरे खोखला कर चुका था। अज़ल उ...

खामोशी की चीख़ (अंतिम भाग)

  राघव एक पुराना मकान देखने आया था, जो शहर से दूर था और जिसके बारे में यह अफवाह थी कि वह जगह भूतिया है। लेकिन राघव को इन बातों पर यकीन नहीं था। उसने सोचा कि यह सिर्फ़ लोगों की काल्पनिक कहानियाँ हैं। मकान कई सालों से खाली पड़ा था, और उसमें कोई आना नहीं चाहता by Nisha Yadav

रात का सफर

रात का समय था, करीबन 11:30 बज रहे थे। मुंबई की वो सड़क जो दिन में भीड़भाड़ से भरी रहती थी, इस वक्त बिल्कुल खाली पड़ी थी। उस सुनसान सड़क पर एक अकेली लड़की तेज़ क़दमों से चल रही थी। उसका नाम था नेहा, उम्र 25 साल। आज ऑफिस में बहुत काम बढ़ गया था, और उसे अपने बॉस की वजह से देर हो गई थी। वह बार-बार अपने फोन की ओर देख रही थी, शायद किसी उम्मीद में कि किसी से बात कर पाए। नेहा (मन में): "काश मैंने मम्मी को कॉल कर लिया होता। ये रास्ता आज कुछ अजीब सा लग रहा है। न कोई आदमी दिख रहा है, न कोई गाड़ी... और ये अजीब सा सन्नाटा!" चारों तरफ अजीब सी खामोशी थी। जैसे कोई छिपा हुआ खतरा उसे घूर रहा हो। नेहा की धड़कनें तेज हो गईं। उसे महसूस हो रहा था कि कोई पीछे-पीछे चल रहा है, पर जब भी वह मुड़कर देखती, कोई नहीं होता। नेहा (मन में): "ये सब मेरा वहम होगा। मुंबई में इस तरह डरने की कोई जरूरत नहीं है।" तभी, उसे एक पुरानी सी रिक्षा आती हुई दिखाई दी। नेहा ने उसे हाथ देकर रुकने का इशारा किया। रिक्षा रुकी, और नेहा फटाफट उसमें बैठ गई। नेहा: "भाईया, वाशी जाना है।" रिक...

निशि भूत

 निशि भूत एक प्रकार की आत्मा या भूत है, जो विशेष रूप से   बंगाली लोककथाओं और अंधविश्वासों में प्रचलित है। यह भूत   मुख्य रूप से रात के समय सक्रिय होता है और लोगों को   बुलाने या सम्मोहित करने के लिए जाना जाता है। इसके बारे   में मान्यता है कि यह अपने शिकार को उसकी आवाज में   पुकारता है, और जब वह व्यक्ति जवाब देता है या उसकी   आवाज की दिशा में जाता है, तो उसे नुकसान पहुंचाता है। निशि डाक का वर्णन: स्थान : यह आमतौर पर एक सुनसान या अंधेरी जगह पर होता है, जैसे कि जंगल, श्मशान घाट, या किसी पुराने खंडहर में। समय : आधी रात के बाद, विशेष रूप से रात के 12 बजे से 3 बजे के बीच, जब यह माना जाता है कि आत्माएँ और तांत्रिक शक्तियाँ सबसे अधिक सक्रिय होती हैं। निशि भूत की कहानी यह कहानी एक छोटे से गाँव 'निशिकाल' की है, जो घने जंगल के किनारे बसा हुआ है। यह गाँव अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन इसके साथ ही यहाँ निशि भूत की डरावनी कहानियाँ भी प्रचलित हैं। गांव के लोग सूर्यास्त के ब...